Gorakhpur Anita Srivastav News: कहते हैं कि मन में ठान लिया जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है.खासकर शिक्षक तो समाज की तस्वीर भी बदल सकते हैं.वे अपने पढ़ाने की तकनीक में कुछ नया कर बच्चों के रुझान को पढ़ाई की ओर खींच सकते हैं. महिला शिक्षिकाओं में तो ऐसे हुनर बहुतेरे ही देखने को मिल जाते हैं.क्योंकि वे घर से लेकर बाहर तक खुद के हौसले को बुलंद करते हुए परिवार की उम्मीदों पर न सिर्फ खरी उतरती हैं.बल्कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के उम्मीदों को पंख भी दे देती हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हम ऐसी ही शिक्षिका के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने न सिर्फ सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी है.बल्कि उनकी एजुकेशनल शार्ट मूवी कोरोना काल से वर्तमान समय तक अमेरिका में धूम मचा रहृ है.
प्राइमरी स्कूल की ऐसे बदली सूरत
ये जज्बा ही है कि एक शिक्षिका ने अपने बूते न सिर्फ सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी. बल्कि वैश्विक महामारी में भी उनकी जज्बा कम नहीं हुआ. उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ने वालों बच्चों को भी पढ़ाई में हाईटेक बना दिया है.गरीब घरों के बच्चे भी अब आधुनिक तरीके से विषय को आसानी से समझकर पारंगत हो रहे हैं.प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका अनीता श्रीवास्तव विभिन्न विषयों पर शार्ट मूवी के माध्यम से वैज्ञानिक ढंग से बच्चों को शिक्षित कर रही हैं. उनकी स्पोर्ट्स प्लेयर्स की बॉयोग्राफी पर तैयार की गई शार्ट मूवी अमेरिका तक धूम मचा रही है. वो कहती हैं कि जब वे यहां पर आईं तो बिल्डिंग काफी जर्जर थी.उनके अपने सोर्सेज और सरकारी मदद से न सिर्फ जर्जर भवन को दुरुस्त कराया. बल्कि वहां पढ़ने वाले बच्चों को वैज्ञानिक तरीके से पढ़ाने का तरीका भी इजाद किया. चरगांवा विकास खंड के सरैया प्राथमिक विद्यालय में वे बच्चों की नई पौध तैयार कर रही हैं. वैश्विक महामारी में जब स्कूल बंद हो गए, तो भी उनका अभियान चलता रहा.
प्राइवेट स्कूल को भी मात
अनीता ने बताया कि उन्होंने विभिन्न विषयों को आनलाइन क्लासेज के माध्यम से समझाने के लिए शार्ट वीडियो बनाने शुरू किए. उसमें उन्होंने अपनी आवाज भी दी. आफलाइन क्लासेज की तरह ही आनलाइन क्लासेज में बच्चों को विषय अच्छे से समझ में आए, इसके लिए उन्होंने शार्ट मूवी भी बनानी शुरू की. पांच-पांच खिलाडि़यों को लेकर उन्होंने शार्ट मूवी बनानी शुरू की और आनलाइन क्लासेज के अलावा उसे यू-ट्यूब और सोशल साइट्स पर अन्य बच्चों के लिए भी पोस्ट करना शुरू किया. उनके वीडियो काफी पसंद किए जाने लगे. इनके द्वारा प्राइमरी के बच्चों के लिए कक्षावार जनरल नॉलेज बुकलेट, डिजिटल लाइब्रेरी, 8 ई-पुस्तिकाएं एवं पॉडकास्ट अनीता रेडियो-शो के माध्यम से बच्चों तक गुणवत्तापूर्वक शिक्षा प्रदान कर रही हैँ. जिसकी सराहना जनपद से लेकर मुख्यालय स्तर तक हुई. अनेक विद्यालयों में इसे पढ़ाया जा रहा है. बच्चों के उपचारात्मक शिक्षण विषय प़र इनका शोधपत्र अंतराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका में प्रकाशित हुआ.
वे कहानी सुनाओ प्रतियोगिता में राज्य स्तरीय विजेता रहीं. वर्ष 2021 में राज्य स्तरीय Eduleader अवार्ड भी पा चुकीं हैं. अनीता खुश होते हुए बताती हैं कि भारतीय मूल के अप्रवासी अमेरिकन बच्चे ने उन्हें पुर्तगाली खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो की बायोग्राफी अंग्रेजी में बनाने की रिक्वेस्ट की. उन्होंने अंग्रेजी में अपनी आवाज देकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो की बायोग्राफी पर शार्ट मूवी तैयार की और भारतीय मूल के अमेरिकन बच्चे को उसके नानाजी के माध्यम से भेज भी दिया. बच्चे को वीडियो बहुत पसंद आया और उसने अनीता को धन्यवाद भी दिया.
कौन हैं अनीता श्रीवास्तव
गोरखपुर के पूर्वी बशारतपुर की रहने वाली अनीता श्रीवास्तव प्राथमिक विद्यालय सरैया अंग्रेजी माध्यम में प्रधानाध्यापिका हैं. उनके पति डा. वीके श्रीवास्तव बीआरडी मेडिकल कालेज में कार्यरत हैं. अनीता का भरा-पूरा परिवार है.बेटा आदित्य AIIMS में द्वितीय मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है और बेटी तृप्ति 11 कक्षा की छात्रा है. अनीता साल 2005 से ही शिक्षिका हैं. उनकी पहली पोस्टिंग देवरिया जिले के बैतालपुर में हुई. उसके बाद साल 2012 में उनकी तैनाती गोरखपुर के प्राथमिक विद्यालय सरैया अंग्रेजी माध्यम में हुई. यहां पर वे प्रधानाध्यापिका हैं.
अनीता के पति डा.वी के श्रीवास्तव भी उनकी इस मुहिम में साथ देते हैं. तकनीकी पहलुओं के साथ जो भी कमियां इन वीडियो में रहती हैं, उसे वे बताते हैं और सुधार भी करवाते हैं. इसके साथ ही वे शिक्षिका पत्नी को मानसिक रूप से भी सपोर्ट करते हैं. जिससे वे गांव के बच्चों की तकदीर बदल देने के सपने को साकार करती रहें. जिससे वे बच्चे आगे बढ़कर देश और दुनिया में अपना नाम कर सकें.डा.वी के श्रीवास्तव कहते हैं कि पत्नी की मुहिम में वे पूरा सहयोग देते हैं. कुछ अलग करने की जिद और गरीब बच्चों को तकनीक और वैज्ञानिक पद्धति से पढ़ाने की ललक से एक शिक्षिका ने जहां स्कूल की तस्वीर बदल दी है. तो वहीं गरीब बच्चों को साक्षर बनाने के साथ उन्हें प्रतिभावान भी बना रही हैं. ऐसे में वे बड़े होकर देश का भविष्य उज्ज्वल करने में शहर के किसी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से कम नहीं होंगे.