अंकिता भंडारी हत्याकांड: दो साल बाद वनंत्रा रिजॉर्ट के काले राज का हुआ खुलासा, न्यायिक प्रक्रिया जारी, जल्द आएगा फैसला
Uttarakhand News: उत्तराखंड के पौड़ी क्षेत्र में 18 सितंबर 2022 को एक रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 100 गवाह बनाए गए हैं, जिनमें से 49 गवाहों की गवाही हो चुकी है.
Pauri News: उत्तराखंड के पौड़ी क्षेत्र के वनंत्रा रिजॉर्ट में 18 सितंबर 2022 को एक घटना घटी, जिसने राज्य भर में उथल-पुथल मचा दी. इस दिन रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी, और अब, दो साल बाद, यह मामला अभी भी न्यायिक प्रक्रिया में है. इस दौरान एसआईटी (विशेष जांच टीम) ने हत्या के इस केस में 100 गवाह बनाए, जिनमें से 49 गवाहों की गवाही फास्ट ट्रैक कोर्ट में हो चुकी है. बाकी 51 गवाहों की गवाही का इंतजार है. इस मामले में मुख्य आरोपी रिजॉर्ट का मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर अंकित गुप्ता और सौरभ भाष्कर हैं, जो फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
अंकिता भंडारी पौड़ी की निवासी थी, जिसने वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम शुरू किया था. नौकरी के सिर्फ 20 दिनों के अंदर ही अंकिता को वहां के अंधेरे और अनैतिक कामों का एहसास हो गया. उसे समझ आ गया था कि रिजॉर्ट एक अय्याशी का अड्डा था, जहां बड़े-बड़े लोग आते थे और यहां न केवल खाने-पीने का इंतजाम होता था, बल्कि अनैतिक गतिविधियों की भी व्यवस्था की जाती थी.
एसआईटी जांच में हुआ हत्या का खुलासा
एसआईटी की जांच में यह बात सामने आई कि पुलकित आर्य ने अंकिता को भी इन वीआईपी मेहमानों के हवाले करने की योजना बनाई थी. पुलकित का खुद भी अंकिता पर बुरी नजर थी और उसने कई बार उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया था. अंकिता ने यह सब अपने दोस्त पुष्प को व्हाट्सएप चैट में बताया था. इस चैट के आधार पर ही एसआईटी ने अपने सबूत मजबूत किए. अंकिता इन काले कामों से तंग आ चुकी थी और नौकरी छोड़कर जाना चाहती थी. इसी कारण 18 सितंबर 2022 की रात पुलकित और उसके साथियों ने अंकिता की हत्या कर दी.
हत्या की साजिश और घटनाक्रम
अंकिता की हत्या को छिपाने के लिए तीनों आरोपियों ने उसकी लाश को चीला नहर में फेंक दिया. 20 सितंबर को पुलकित ने राजस्व क्षेत्र पट्टी उदयपुर पल्ला में अंकिता के गायब होने की शिकायत दर्ज करवाई. लेकिन जब यह मामला प्रकाश में आया और लोगों ने उग्र प्रदर्शन शुरू किया, तो जिलाधिकारी ने इसे पुलिस को सौंप दिया. 22 सितंबर को लक्ष्मण झूला पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, और पुलकित, अंकित और सौरभ से पूछताछ के बाद यह साफ हुआ कि उन्होंने अंकिता की हत्या 18 सितंबर की रात को की थी. उनका कहना था कि वे अंकिता पर अनैतिक कामों के लिए दबाव डाल रहे थे, और अंकिता इन राजों को बाहर न लाए, इसलिए उसे चीला नहर में धकेल दिया गया.
मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में कार्रवाई
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया. 24 सितंबर 2022 को अंकिता का शव चीला नहर बैराज इंटेक से 13 किलोमीटर दूर बरामद किया गया. उसी दिन एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञों की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया, जिसमें यह पुष्टि हुई कि अंकिता की हत्या की गई थी.
100 गवाहों की सूची हुई थी तैयार
एसआईटी का गठन एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था के निर्देश पर किया गया और डीआईजी के नेतृत्व में इस केस की गहनता से विवेचना की गई. एसआईटी ने इस मामले को मजबूती से पेश करने के लिए 100 गवाहों की सूची तैयार की और कई गवाहों के मजिस्ट्रेटी बयान भी कराए. 16 दिसंबर को एसआईटी ने पुलकित, अंकित और सौरभ के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छुपाने, छेड़खानी और अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत चार्जशीट दाखिल की.
वीआईपी का सवाल और पुलिस की जांच
इस हत्याकांड में सबसे विवादित सवाल यह रहा कि वीआईपी कौन था, जिसके हवाले पुलकित अंकिता को करना चाहता था. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा नहीं हो पाया. एसआईटी ने यह दावा किया कि रिजॉर्ट में आने वाले मेहमान जो "स्पेशल सर्विस" मांगते थे, उन्हें वीआईपी कहा जाता था. हालांकि, यह बात लोगों को संतोषजनक नहीं लगी. पुलिस की जांच में यह भी साफ नहीं हो पाया कि रिजॉर्ट में आने वाले किसी बड़े नामचीन व्यक्ति का नाम लिस्ट में था या नहीं. इस सवाल का अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है और यह मामला अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है.
लोगों का प्रदर्शन और न्याय की मांग
अंकिता की हत्या के बाद उत्तराखंड के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन हुए. लोग न्याय की मांग कर रहे थे और आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने की आवाज उठा रहे थे. अंकिता की हत्या ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और अनैतिक गतिविधियों को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए. इस मामले ने न केवल प्रशासन को, बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया.
51 गवाहों की गवाही बाकी
दो साल बाद, इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई जारी है. 49 गवाहों की गवाही हो चुकी है, जबकि 51 गवाहों की गवाही बाकी है. पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भाष्कर अभी भी न्यायिक अभिरक्षा में हैं. मामले की गंभीरता और सार्वजनिक दबाव को देखते हुए उम्मीद है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट जल्द ही अंतिम फैसला सुनाएगी. अंकिता भंडारी हत्याकांड ने उत्तराखंड के समाज और न्यायिक प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला है. यह मामला महिलाओं की सुरक्षा और अनैतिक कार्यों के खिलाफ एक मजबूत संदेश देने का अवसर भी है. जनता की उम्मीदें अब अदालत से हैं, जो इस मामले में न्याय सुनिश्चित करेगी.
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