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Uttarakhand News: क्या उत्तराखंड में ख़त्म हो जाएगी राजस्व पुलिस व्यवस्था? अंकिता हत्याकांड के बाद उठी मांग
Revenue Police System: अंकिता हत्याकांड में राजस्व पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद पूरे राज्य में इस समय राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म करने की मांग हो रही है. जानिए ये व्यवस्था क्या है.
Uttarakhand Revenue Police System: अंकिता हत्याकांड (Ankita Murder Case) में राजस्व पुलिस की लापरवाही सामने आने के बाद पूरे राज्य में इस समय राजस्व पुलिस व्यवस्था (Revenue Police System) खत्म करने को लेकर चर्चा चल रही है. पहाड़ों पर बढ़ते अपराध को लेकर, राजस्व पुलिस की जगह रेगुलर पुलिस को स्थापित करने की मांग तेज हो गई है. अब बड़ा सवाल ये है, कि क्या सरकार इस निर्णय को लेगी और क्या उत्तराखंड (Uttarakhand) में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही राजस्व पुलिस व्यवस्था खत्म हो जाएगी.
ऐसे शुरू हुई थी राजस्व पुलिस व्यवस्था
उत्तराखंड में पुलिस एक्ट 1861 के अनुरूप कुमाऊं में 1874 और गढ़वाल में 1956 में राजस्व पुलिस की व्यवस्था विधिवत तौर पर शुरू की गई. उस समय एक पटवारी के अधीन एक उप राजस्व निरीक्षक, थोकदार, पदान, घर पदान और सयाना होते थे, उस समय लोगों को राजस्व पुलिस व्यवस्था पसंद होती थी लेकिन धीरे-धीरे मैन पावर बढ़ने के बजाय घटती गई और आज स्थिति ये है कि बढ़ते क्राइम के बीच पटवारी के पास न ही कोई मैन पावर है और न ही संसाधन. यही वजह है कि बड़े अपराधी इसी बात का फायदा लेकर बच निकलते हैं.
जनता के सहयोग से अपराधी को मिलता था दंड
राजस्व विभाग से रिटायर्ड तहसीलदार बी.पी. जगूड़ी बताते हैं कि अब उम्मीद नहीं लगती की राजस्व पुलिस की व्यवस्था में कुछ सुधार आ पायेगा. जगूड़ी वहीं व्यक्ति हैं जिन्होंने विभाग में रहकर ही इस व्यवस्था को सुधारने के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़ी. जगूड़ी बताते हैं कि इस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अगर पहले से विभाग को लेकर गंभीर होते तो व्यवस्था को समय की मांग के साथ सुधारा जा सकता था.
राजस्व विभाग से रिटायर्ड तहसीलदार बी.पी. जगूड़ी बताते हैं कि अब उम्मीद नहीं लगती की राजस्व पुलिस की व्यवस्था में कुछ सुधार आ पायेगा. जगूड़ी वहीं व्यक्ति हैं जिन्होंने विभाग में रहकर ही इस व्यवस्था को सुधारने के लिए लंबे समय तक लड़ाई लड़ी. जगूड़ी बताते हैं कि इस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अगर पहले से विभाग को लेकर गंभीर होते तो व्यवस्था को समय की मांग के साथ सुधारा जा सकता था.
कांग्रेस और बीजेपी का क्या कहना है
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टियों के लोग भी बढ़ते अपराधों को देखते हुए राजस्व पुलिस की व्यवस्था समाप्त करने की पैरवी करते दिखाई दे रहे हैं. पक्ष विपक्ष को भी बदलते दौर और बढ़ते अपराधों को देखते हुए पहाड़ों पर भी रेगुलर पुलिस की आवश्यकता महसूस होने लगी है. इस मामले पर ग्रामीण लोग और समाज का बुद्धिजीवी वर्ग भी सहमत दिखाई दे रहे हैं कि समय के साथ अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी रेगुलर पुलिस की व्यवस्था शुरू कर देनी चाहिए ताकि क्राइम का खुलासा जल्द हो सके और अपराधी बच न सकें. हालांकि लोगों का ये भी कहना है कि इसे लागू करना इतना आसान भी नहीं है. इसको लेकर पहले जानकारों की राय लेनी जरूरी होगी.
क्या उत्तराखंड में खत्म होगी राजस्व पुलिस व्यवस्था
मौजूदा स्थिति इस ओर इशारा कर रही है कि प्रदेश की करीब 60 फीसदी हिस्से में चल रही राजस्व पुलिस की व्यवस्था पर सरकार बड़ा फैसला ले सकती है. लेकिन जानकार बताते हैं कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पूरी तरह से रेगुलर पुलिस व्यवस्था लागू करना इतना भी आसान नहीं होगा. देखना होगा की राज्य में उठी इस मांग पर क्या फैसला लिया जाता है और किस तरह से इस व्यवस्था में बदलाव किया जाता है. ताकि पहाड़ पर क्राइम की दस्तक को रोकने के लिए व्यवस्था सुदृढ़ किया जा सके.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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