(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी की वार्षिक परीक्षाएं आज से शुरू, मल्टीपल च्वाइस से नाखुश दिखे स्टूडेंट्स
कोरोना महामारी ने परीक्षा कार्यक्रमों और उनके पैटर्न पर भी असर डाला है. गोरखपुर विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाएं बहुविकल्पीय आधार पर आयोजित की जा रही है. इससे छात्र खुश नहीं हैं.
Gorakhpur University Exam : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों की वार्षिक परीक्षाएं आज से शुरू हो गईं. शासन की गाइड लाइन और निर्देश के आधार पर कोरोना महामारी को देखते हुए स्नातक द्वितीय और अंतिम वर्ष के साथ स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए डेढ़ घंटे की बहुविकल्पीय प्रश्नों के आधार पर परीक्षा आयोजित हो रही है. सुबह 9:00 बजे से 10:30 और दोपहर 2:00 से 3:30 तक परीक्षाएं होंगी. 213 केंद्रों पर कुल 2.46 लाख परीक्षार्थी अलग-अलग दिन परीक्षा में शामिल होंगे.
कोविड प्रोटोकाल के साथ हो रही हैं परीक्षा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं संबद्ध महाविद्यालयों के 213 केन्द्रों पर आयोजित परीक्षा में स्नातक प्रथम और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के छात्र छात्राओं को प्रमोट कर दिया जाएगा. आज पहली पाली में बी. ए भाग 3 और एमए अंतिम वर्ष और दूसरी पाली में बीए भाग 2 और बीएससी भाग 2 की परीक्षाएं हो रही हैं. पांच क्षेत्रीय फ्लाइंग स्कवॉयड परीक्षा की निगरानी करेगा. कोविड प्रोटोकाल के साथ सीसीटीवी से केन्द्रों की निगरानी होगी.
इन पेपर की है परीक्षा
27 जुलाई मंगलवार को पहली पाली में सुबह 9 बजे से 10.30 बजे बीए भाग तीन के तक अर्थशास्त्र, औद्योगिक रसायन, इंडस्ट्रीयल माइक्रोबॉयलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्प्यूटर साइंस और एमए अंतिम वर्ष के उर्दू, अर्थशास्त्र प्रथम व द्वितीय प्रश्नपत्र समाज शास्त्र प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा आयोजित हुई. द्वितीय पाली में दोपहर दो बजे से 3.30 बजे तक बीए भाग दो उर्दू, पाली, गणित, बीएससी भाग दो की गणित और वनस्पति विज्ञान की परीक्षाएं होनी है.
खुश नहीं हैं छात्र
पहली पाली में परीक्षा देने के बाद परीक्षार्थी महज डेढ़ घंटे की बहुविकल्पीय परीक्षा से नाखुश दिखे. उन्होंने कहा कि पहले तीन घंटे की परीक्षा में वे अपने प्रश्नों के भलीभांति उत्तर दे पाते थे. बहुविकल्पीय प्रश्नों की वजह से न तो उन्हें अच्छे नंबर मिलेंगे और न ही वे अपना मेरिट सुधार पाएंगे. उनका कहना है कि वैश्विक महामारी की वजह से विश्वविद्यालय की परीक्षाएं महज औपचारिकता बनकर रह गई हैं. ये उनके भविष्य के लिहाज से ठीक नहीं है.
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