Ansal News: अंसल समूह के दिवालिया होने की खबर के बाद निवेशकों का गुस्सा पिछले कुछ दिनों से लखनऊ में दिखाई दे रहा था और इसी दौरान 3 मार्च को लखनऊ में निवेशकों के प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के यहां हुई बैठक और उनके दिशा निर्देश पर कार्रवाई शुरू हुई है. जिसमें पहली एफआईआर लखनऊ में दर्ज कराई गई जिसके बाद अन्य शहरों में भी एफआईआर दर्ज होने का सिलसिला अब शुरू हो गया है.

लोगों ने सपना देखा था कि वह अंसल में अपना आशियाना बनाएंगे. पहले फेज का काम पूरा होते देख लोगों में ललक थी कि दूसरा फेज भी ऐसा ही सुंदर होगा और उनका भी यहीं पर आशियाना होगा. इस बाबत अंसल के इश्तेहार देखकर लोगों ने वहां जमीन लेने की सोची और उसके लिए रुपये भी दिए, पर आज तक ना लोगों को उनकी जमीन चिन्हित हो पाई ना उनको उसे पर कब्जा मिल पाया और अंसल सिर्फ और सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाता रहा 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जहां भी अंसल के खिलाफ मामले हो सब दर्ज कराया जाए.  इसके बाद लखनऊ में पहली एफआईआर हुई और वहीं दूसरी एफआईआर गाजियाबाद में हुई है. वहीं कुछ लोग जो अंसल से पीड़ित है वह अलग-अलग स्थान के भी अब चक्कर काटने लगे हैं ऐसे में लखनऊ के पीजीआई थाने पहुंचे अमित मेहरोत्रा ने कहा कि वह कल से एफआईआर लिखाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं पर उनकी एफआईआर अभी तक नहीं लिखी गई पर आज रजिस्टर में लिखकर उनको एक नंबर दिया गया है पर अभी तक एफआईआर की कॉपी उनको नहीं मिली.

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आखिर किसकी गलती?अंसल के एक और पीड़ित प्रशांत सिन्हा का कहना है कि 2012 में उन्होंने प्लॉट लेने के लिए पैसा दिया था जिसका आज तक उनको कहीं कुछ नहीं मिला. बीच में एडजस्टमेंट की बात उनसे कहीं जाने लगी पर उनको उनकी जमीन चाहिए जो कि आज तक नहीं मिली. उन्होंने कहा कि वो पेपर में इश्तिहार देखते थे तो उसमें एलडीए से अप्रूवल की बात कही जाती थी जिससे उनको विश्वास हुआ और उन्होंने यह जमीन ली लेकिन आज तक वो उसके कब्जे को तरस रहे हैं. वहीं दूसरे खरीदार अनुराग गुप्ता कहते हैं कि उन्होंने 2017 में यहां पर जमीन ली वह पहले सेना में रहे और उसका पैसा जो मिला उसको उन्होंने यहां लगाया लेकिन आज तक उनको उनकी जमीन का टुकड़ा नहीं मिला. 

उन्होंने कहा कि जब उन्होंने इसके कागजात चेक किया तो उसमें एलडीए की देखरेख में यहां सब होने की बात कही गई थी, वहीं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हर 6 महीने में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीट करने के लिए बैठक होने की भी बात कही गई थी जिससे उनका विश्वास इस प्रोजेक्ट पर बढ़ा और उन्होंने यहां पर जमीन ली. उनका कहना है कि कई बार अंसल की तरफ से दबाव बना कि कम पैसे लेकर समझौता कर लिया जाए क्योंकि अंसल की शायद कभी मंशा ही नहीं थी कि अंसल जमीन दे. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार इसको पूरा अपने कब्जे में ले पर या तो विकास प्राधिकरण या आवास विकास के माध्यम से इसका डेवलपमेंट कर हमें हमारी जमीन दे.

लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी प्रथमेश कुमार ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री के दिशा निर्देश के बाद हमने एफआईआर दर्ज कराई है और हम बायर्स के हित को ध्यान में रखने के लिहाज से हर कदम उठा रहे हैं. पिछले समय का जो भी अधिकारी या कर्मचारी अगर दोषी पाया जाएगा जिसके कारण लोगों का नुकसान हुआ है या जिन्होंने यहां से हटकर अंसल में कोई लाभ पाया है उसकी जांच कर उस पर भी कार्रवाई की जाएगी.