आगरा, एबीपी गंगा। सरकार की उदासीनता और सिस्टम की लापरवाही किस हदतक लोगों के मजबूर कर देती है। उसकी एक बानगी आगरा में देखने को मिली। लंबे अरसे से नियुक्ति पत्र के लिए संघर्ष कर रहे 2013 के पुलिस आरक्षी भर्ती के युवक सरकारी तंत्र के गैरजिम्मेदाराना रवैये के शिकार हैं। व्यवस्था से हार चुके अभ्यर्थियों ने महामहिम राज्यपाल से नियुक्ति पत्र की बजाय सामूहिक इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। न्याय के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को पत्र भेजा है।
पुलिस आरक्षी भर्ती-2013 के अभ्यर्थियों का धैर्य अब टूट चुका है। मैनपुरी में कलक्ट्रेट के तिकोनिया पार्क में आधा सैकड़ा से ज्यादा युवक-युवतियां जुटे। युवाओं का कहना है कि 2013 में पुलिस आरक्षी भर्ती का विज्ञापन निकाला गया था। आवेदन के बाद 2016 में भर्ती का परिणाम आया। क्षैतिज आरक्षण में त्रुटियां बताकर भर्ती प्रक्रिया के परिणाम पर सवाल उठा दिए गए। देर होती देख अभ्यर्थियों ने 2016 में याचिका दायर की। अभ्यर्थियों का कहना है कि पांच सितंबर 2017 को न्यायालय का फैसला उनके हक में आया।
आरोप है कि अप्रैल 2018 को 13479 उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सूची बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई लेकिन बाद में इसमें त्रुटि बताकर दोबारा सूची को हटा दिया गया। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे न्यायालय से लगातार जीतते आ रहे हैं लेकिन भर्ती बोर्ड द्वारा उन्हें नियुक्ति पत्रों के लिए वर्ष 2018 से दौड़ाया जा रहा है। लंबा समय बीतने के बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। परेशान अभ्यर्थियों ने अब थककर राज्यपाल से सामूहिक इच्छा मृत्यु की मांग की है।