UP: मुफलिसी में तीरंदाजी कोच, समोसा बेचकर खींच रहे हैं जिंदगी की गाड़ी, सरकार को सुध नहीं
यूपी के बाराबंकी में तीरंदाजी कोच महेंद्र प्रताप सिंह की हालत दयनीय है. कई संस्थानों में बतौर तीरंदाजी कोच रहे आज वे समोसा बेचकर जीवन की गुजर बसर कर रहे हैं.
बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी जिले में तीरंदाजी के कोच महेंद्र प्रताप सिंह आज बेरोजगारी में समोसे बेच रहे हैं. लगभग 20 वर्षों तक अलग-अलग जनपदों में बच्चों को तीरंदाजी सिखाने वाले खेल-कूद के साथ पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री लेकर परचून की दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. एबीपी गंगा संवाददाता ने बेरोजगारी की मार झेल रहे महेंद्र प्रताप सिंह से बातचीत जब बात की तो, पता चला उनके जैसे लगभग यूपी के चार सौ लोग पिछले वर्ष खेल निदेशालय की ओर से निकाल दिए गए हैं. कोई ईंट भट्ठे पर काम करता है, तो कोई ड्राइविंग, कोई मजदूरी तो कई ऐसे हैं जो बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
लंबे समय तक दी कोचिंग
बाराबंकी के थाना मसौली के सहावपुर निवासी आर्चरी कोच महेंद्र प्रताप सिंह समोसा बेचकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. घर पर परचून की दुकान चलाने वाले महेंद्र बताते हैं कि, दिल्ली से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने कलकत्ता से एनआईएस (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ स्पोर्ट्स ) और उसके बाद ,अवध विश्व विद्यालय फैजाबाद से सन 2007 में एम इंग्लिश से पढ़ाई की. उसके बाद कोच के तौर पर बाराबंकी में लगभग 14 साल बच्चों को प्रशिक्षण उसके बाद एक वर्ष के लिए गोरखपुर, फिर 2016 से लेकर मार्च 2020 तक मिर्जापुर और सोनभद्र में बच्चों को तीरंदाजी सिखाई.
400 साथियों का हटाया गया
जानकारी के अनुसार सोनभद्र में अखिल भारतीय बनवासी कल्याण आश्रम के तहत संचालित सेवा कुंज आश्रम चपकी सोनभद्र में भी प्रशिक्षण दिया. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया की खेल निदेशालय, यूपी द्वारा उन्हें पिछले लॉकडाउन में कोरोना के चलते और उनके लगभग 400 साथियों को हटा दिया जो आज भुखमरी की कगार पर हैं.
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