मच्छरों से फैलनेवाले रोगों से निपटने के लिये अब अपनाया जा सकता है ये उपाय
ABP Ganga
Updated at:
25 Aug 2019 05:27 PM (IST)
देश में मच्छरों द्वारा जनित रोगों से लाखों लोगों की मौत होती है। इससे निपटने के लिये फॉगिंग असरकारक उपाय तो हैं लेकिन उतना नहीं। ऐसे में एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि एरियल फॉगिंग ज्यादा प्रभावकारी और बड़े क्षेत्र में इसका असर होता है।
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लखनऊ, एजेंसी। बारिश के मौसम में मच्छर जनित रोगों के बढ़ते प्रकोप के बीच इसकी प्रभावी रोकथाम के लिये दूसरे देशों की तरह भारत में भी 'एरियल फॉगिंग' की मांग उठ रही है। इंसेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान और मिशन सेव इन इंडिया के मुख्य अभियानकर्ता डॉक्टर आर. एन. सिंह ने 'भाषा' को बताया कि मच्छरजनित बीमारियां बिहार और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में फैलती हैं। सामान्य फॉगिंग से इन पर रोक लगाना मुमकिन नहीं है। इसका सटीक प्रबंधन सिर्फ 'एरियल फॉगिंग' से ही संभव है।
उन्होंने बताया कि एरियल फॉगिंग किसी विमान या हेलीकॉप्टर के जरिये बहुत बड़े क्षेत्र में एक साथ फॉगिंग (दवा का छिड़काव) को कहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में हर साल करीब 10 लाख लोगों की मौत मच्छर जनित बीमारियों से होती है। इसे रोकने के लिये एरियल फागिंग ही असरदार और सुरक्षित विकल्प है।
सिंह ने बताया कि एरियल फॉगिंग में बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल होने वाले इंसेक्टिसाइड काफी बड़े क्षेत्रफल में त्वरित गति से मच्छरों को तो मारते हैं वहीं इस छिड़काव का मानव, अन्य जीवों, भूमि, जल, पर्यावरण, खेती, वन और जलराशियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। अक्सर प्रभावित क्षेत्रों की गलियों और भौगोलिक रूप से दुर्गम इलाकों में परम्परागत तरीके से फॉगिंग नहीं हो पाती। इसके लिये एरियल फॉगिंग ही एकमात्र उपाय है।
उन्होंने कहा कि एरियल फागिंग को विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी मान्यता मिली है। दुनिया में कई स्थानों पर एरियल फागिंग हो रही है। हाल में फ्लोरिडा में 60 लाख एकड़ क्षेत्र में मच्छरजनित बीमारियों की रोकथाम के लिये एरियल फॉगिंग की गई थी।
उन्होंने कहा कि विश्व में मलेरिया से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं। मच्छरजनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण कर सकने वाले एक मात्र विकल्प एरियल फागिंग को अमल में लाने में विलंब ठीक नहीं है।