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मौत की मॉक ड्रिल: डॉ अरिंजय जैन की बढ़ी मुश्किलें, पीड़ितों की निशुल्क लड़ाई लड़ेगा 6 वकीलों का पैनल
मौत की मॉक ड्रिल चलाने वाले श्री पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. जो भी मॉक ड्रिल के शिकार हुए हैं उनकी तरफ से लीगल लड़ाई युवा अधिवक्ता संघ निशुल्क लड़ेगा.
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आगरा: मौत की मॉक ड्रिल चलाने वाले श्री पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. मामले में पीड़ित अशोक चावला की तरफ से जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल किया गया है. इस मामले में युवा अधिवक्ता संघ की तरफ से पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए एक बड़ी पहल की गई है.
युवा अधिवक्ता संघ निशुल्क लड़ेगा केस
संघ के मंडल अध्यक्ष अधिवक्ता नितिन वर्मा के मुताबिक जितने भी पीड़ित इस मॉक ड्रिल के शिकार हुए हैं उनकी तरफ से लीगल लड़ाई युवा अधिवक्ता संघ निशुल्क लड़ेगा. इसके लिए युवा अधिवक्ता संघ के 6 वकीलों का एक पैनल तैयार किया गया है जिसमें नितिन वर्मा, सुनील शर्मा, अरुण तेहरिया, योगेश लवानिया, नरेंद्र शर्मा और पंकज सिंह शामिल हैं. मंगलवार को एक परिवाद जिला न्यायालय में दाखिल किया गया है जिसमें पीड़ित अशोक चावला की तरफ से सीआरपीसी 156 (3) में आईपीसी की धारा 304 और 120 बी में मुकदमा दर्ज करने की अपील की गई है.
उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे मामला
मामले को लेकर अधिवक्ता नितिन वर्मा का कहना है ना केवल जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल करके इस मामले की न्यायिक लड़ाई लड़ी जाएगी बल्कि हम जल्द ही उच्च न्यायालय में इस लड़ाई को लेकर जाने वाले हैं. जिस तरह से प्रशासन ने अस्पताल संचालक को क्लीन चिट दी है उसके खिलाफ याचिका दाखिल करेंगे ताकि प्रशासन खासकर जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह इस मामले में अरिंजय जैन को बचाए हुए हैं उस साजिश का पर्दाफाश किया जा सके. क्लीन चिट को लेकर जहां जनता में बेहद आक्रोश है और लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं बावजूद उसके जिला अधिकारी एकतरफा कार्रवाई करते हुए अरिंजय जैन के समर्थन में तरफ खड़े हुए हैं. वो कहीं ना कहीं पीड़ितों के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है.
हर स्तर पर लड़ी जाएगी लड़ाई
वहीं, दूसरी तरफ अशोक चावला का कहना है उन्होंने एक तरफ अपने पिता वासुदेव चावला वहीं दूसरी तरफ अपने भाई की पत्नी मनीषा चावला को 26 और 27 अप्रैल के दरमियान पारस अस्पताल में खोया है. उनका कहना है इंसाफ की खातिर अब इस लड़ाई को हर उस स्तर पर उठाने वाले हैं, जहां से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है.
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