कलाकार और किस्से: महाभारत के 'युधिष्ठिर' को एक महिला मारना चाहती थी थप्पड़, गजेंद्र चौहान चहा कर भी नहीं बदल पाए अपनी इमेज
देश में 14 अप्रैल तक के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन के आदेश दिए हैं। लॉकडाउन की शुरुआत के साथ ही सोशल मीडिया पर दूरदर्शन के 80 और 90 के दशक के कुछ कार्यक्रमों का प्रसारण फिर से किया गया है।
देशभर में चल रहा लॉकडाउन की वजह से घरों में एक बार फिर से 80 और 90 के दशक के कुछ कार्यक्रमों का प्रसारण किया गया है। वहीं इस लिस्ट सबसे पहले नाम आता है सीरियल रामानंद सागर की रामायण और बीआर चोपड़ा की महाभारत का नाम सबसे टॉप पर रहा है।
साल 1988 में जब कौरव, पांडवों की गाथा पर आधारित सीरियल 'महाभारत' शुरू हुआ होगा तो शायद इसके निर्देशक बीआर चोपड़ा को भी इल्म नहीं रहा होगा। इससे पहले रामानंद सागर निर्मित 'रामायण' ने भी दूरदर्शन पर अपार सफलता पाई थी।
महाभारत में युधिष्ठिर का किरदार गजेंद्र चौहान ने निभाया था। इस किरदार से गजेंद्र हर किसी के चहेते बन गए थे। एक इंटरव्यू के दौरान गजेंद्र ने बताया था कि, 'महाभारत ने मेरे करियर पर इतना गहरा असर डाला कि गजेंद्र चौहान की मेरी असल छवि दबकर रह गई। जहां मैं जाता लोग मुझे युधिष्ठिर नाम से बुलाने लगते। लोगों ने इससे पहले ये गाथा सिर्फ सुनी थी। लेकिन टीवी पर इसे लोगों ने पहली बार देखा तो उन्होंने हर कलाकार के चेहरे को उसके द्वारा निभाए गए किरदार से जोड़ लिया। मैं उनके लिए युधिष्ठिर बन गया। रूपा गांगुली, द्रौपदी और नीतीश भारद्वाज कृष्ण बन गए।
इस बारे में एक और किस्सा बताते हुए गजेंद्र ने कहा था, 'एक बार मैं और अर्जुन दिल्ली के एक रेस्टॉरेंट में नॉन-वेज खाना खाने गए। वहां खाने के बाद जब हम पैसे देने लगे तो रेस्टॉरेंट के मैनेजर ने हाथ जोड़कर पैसे लेने से इनकार कर दिया और बोला, "पहली बार, भगवान मेरे होटल में गोश्त खाने आए। मैं भला उनसे कैसे पैसे ले सकता हूं।" एक और किस्से के बारे में बात करते हुए गजेंद्र ने कहा, 'एक बार हवाई जहाज में एक महिला मुझसे मिली और बोली, "मैं तुम्हें थप्पड़ मारना चाहती हूं। आखिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई द्रौपदी को दांव पर लगाने की।"
गजेंद्र बताते हैं कि महाभारत खत्म होने के बाद उन्हें हर कोई एक आदर्श किरदार में ही देखना चाहता और इसके साथ ही उनके जीवन का संघर्ष शुरू हुआ था। युधिष्ठिर का रोल निभाने के बाद सब मुझे कुछ उसी तरह के आदर्श किरदार में देखना चाहते थे लेकिन हर रोल तो वैसा हो नहीं सकता तो मुझे दिक्कत पेश आने लगी। फिर मैंने सोचा ऐसे तो मैं टाइपकास्ट हो जाऊंगा, तो मैंने खुद ही हटकर रोल स्वीकार करने शुरू कर दिए। मैंने जान-बूझकर कुछ नकारात्मक किरदार किए ताकि अपनी युधिष्ठिर की छवि को तोड़ सकूं। उस दौरान मैंने कुछ बी और सी ग्रेड की फिल्मों में भी काम किया था। महाभारत के वक्त को याद करते हुए एक इंटरव्यू में गजेंद्र ने कहा था कि आज मैं जो हूं 'महाभारत' की वजह से हूं।