नई दिल्ली, एबीपी गंगा। अरुण जेटली अच्छे खाने के हमेशा शौकीन रहे। दिल्ली के सबसे पुराने क्लबों में से एक रोशनारा क्लब का खाना उन्हें खूब भाता था। कनॉट प्लेस के मशहूर 'क्वॉलिटी' रेस्तरां के चने भटूरों के वो ताउम्र मुरीद रहे। पंजाबी खाना जेटली को खास पसंद था। वैसे तो जेटली ने अपना पूरा जीवन दिल्ली में बिताया, लेकिन जन्म से और संस्कृति से पंजाबी होने के कारण वह कहते थे "चंगा खाना ते चंगा पान" मतलब अच्छा खाना चाहिए और अच्छा पहनना चाहिए।


अरुण पुरानी दिल्ली की स्वादिष्ट जलेबियां, कचौड़ी और रबड़ी फालूदा खाते हुए बड़े हुए, लेकिन जैसे ही ये पता चला कि उन्हें मधुमेह है, उनके ये सारे शौक जाते रहे और उनका भोजन मात्र एक रोटी और शाकाहारी भोजन तक सिमट कर ही रह गया। जेटली का 'मो ब्लां' पेनों और जामवार शॉलों का संग्रह भी बेहद खास है। 'मो ब्लां' कलम का नया एडिशन सबसे पहले खरीदने वालों में अरुण जेटली हुआ करते थे।



जेटली ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि 'दही के साथ परोसा गया स्टफ्ड पराठा, सर्दियों की दोपहर में एक उत्तम भोजन है, अगर मैं अपना पसंदीदा भोजन चुनता हूं, तो अमृतसरी कुल्चा ही है', वह आमतौर पर दिल्ली के मोती महल में तंदूरी चिकन खाने जाते थे। उन्हें यहां का चिकन बहुत पंसद था। वे अपने पार्टी के सहयोगियों के साथ छोला-भटूरा खाने क्वॉलिटी रेस्तरां भी जाते थे।

जेटली विदेश में भी भारतीय खाना ही पसंद करते थे। ऐसा ही एक किस्सा सुनने में आता है, बात उस समय की है जब जेटली अपने परिवार के साथ वैंकूवर से लंदन की यात्रा करने गए तो रात के खाने को लेकर वो परेशान हो गए। इतना ही नहीं जब अरुण जेटली ने एक बार कहा था कि "खाद्य प्रसंस्करण भविष्य में भारत के प्रमुख उद्योगों में से एक होने जा रहा है, और एक उद्यमी को उद्योग के दृष्टिकोण से सोचना चाहिए।



जेटली काम करने से कभी पीछे नहीं हटे चाहे फिर उनका वित्त मंत्री का कार्यकाल हो या फिर यूपीए सरकार में राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद हो। वह हमेशा से एक अच्छे नेता के रूप में साबित हुए। जब उन्होंने 2014 का बजट भाषण दिया तो इसके बीच उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से बैठकर भाषण पढ़ने की अनुमति मांगी। नियम के अनुसार वित्त मंत्री को हमेशा खड़े हो कर अपना बजट भाषण पढ़ना होता है लेकिन सुमित्रा महाजन से उन्हें बैठ कर भाषण पढ़ने की अनुमति दी थी। दर्शक दीर्घा में बैठी हुई उनकी पत्नी को अंदाजा हो गया कि अरुण के साथ कुछ गड़बड़ है, क्योंकि वो बार-बार अपनी पीठ छूने की कोशिश कर रहे थे। बजट भाषण पढ़ते हुए जेटली की पीठ में भीषण दर्द हुआ था।