एबीपी गंगा। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को एक बार फिर से ऐतिहासिक बहुमत मिला है। 70 में करीब 60 से ज्यादा सीटें आम आदमी पार्टी की झोली में गई हैं। हालांकि, आधिकारिक आंकडे़ अभी नहीं आए हैं लेकिन आम आदमी पार्टी कुछ सीटें जीतने के साथ ही 63 सीटों पर बढ़त लिए हुए है। वहीं, भाजपा इस बार भी दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। बहुत प्रयासों के बाद भी भाजपा के खाते में 7 से ज्यादा सीटें नहीं हैं। कांग्रेस की हालत तो इस बार और भी बुरी है। इस बार भी कांग्रेस खाता नहीं खोल सकी है। ऐसे में हरेक के मन में ये सवाल उठ रहा है कि आखिर आम आदमी पार्टी की जीत का राज क्या है। आइए आम आदमी पार्टी की जीत के पीछे के कारणों पर थोड़ा नजर डालते हैं।
सकारात्मक प्रचार
इस बार आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक प्रचार के मामले में काफी सकारात्मकता बरती। पार्टी ने इस बार नकारात्मक प्रचार नहीं करने की रणनीति अपनाई। न तो पार्टी ने किसी के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए न ही विरोधियों पर बेवजह प्रहार किया। पार्टी के नेताओं ने पूरे प्रचार के दौरान पार्टी के पांच साल में किए काम ही गिनवाए। वहीं, विरोधियों के बारे में न तो भड़काऊ बयान दिए और न ही दुष्प्रचार का सहारा लिया। वहीं, इसके उलट भाजपा नेताओं पर भड़काऊ बयान देने और विरोधियों के खिलाफ दुष्प्रचार के आरोप लगे।
मोदी को टारगेट नहीं करना
आम आदमी पार्टी ने इस बार सकारात्मक प्रचार के अलावा एक और सतर्कता बरती। पार्टी ने पूरे प्रचार के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा कि किसी भी तरीके से सीधे पीएम मोदी से टकराव की स्थिति न बने। पार्टी ने न तो पीएम मोदी को टारगेट किया और न ही उन के बारे में कोई गलत बयानबाजी की। यहां तक कि अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के वोटर से भी अपने समर्थन में वोट की अपील कर डाली।
विकास को मुद्दा बनाया
आम आदमी पार्टी ने इस बार पूरा चुनाव काम और विकास के मुद्दे पर लड़ा। केजरीवाल ने बिजली और पानी के मुद्दे को पूरी तरह भुनाने में कामयाब रहे। यहां तक कि उन्होंने काम के नाम पर वोट मांगा और आगे भी काम करने की गारंटी दी। वहीं, भाजपा ने केजरीवाल के इस काम के प्रति नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश की, जिसमें कि परिणाम से साफ कि वे असफल रहे।
केजरीवाल के सामने कौन ?.
आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में एक और मुद्दे को प्रमुखता से भुनाया, वो है कि केजरीवाल के सामने कौन ?. याद हो कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने भी कैंपेन में इसी तरीके से वोटर को साधने की कोशिश की थी, तब भाजपा वाले सवाल करते थे कि मोदी के सामने कौन और यहां विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने भी यही रणनीति अपनाई और पूछा कि भाजपा का सीएम उम्मीदवार कौन ?. भाजपा वाले इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए और वोटरों ने निश्चित कर लिया कि दिल्ली में तो केजरीवाल ही है।
मोहल्ला क्लीनिक:
केजरीवाल ने एक और काम को प्रमुखता से भुनाया। वो था बिजली, पानी के अलावा मोहल्ला क्लिनिक। बहुत लोगों ने माना कि मोहल्ला क्लिनिक सफल मॉडल रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को इनसे बहुत लाभ मिला। हालांकि, भाजपा ने आयुष्मान योजना का नाम लेकर उन्हें घेरने की कोशिश की लेकिन साफ है कि कामयाब नहीं हो पाई।