Asad Ahmed Encounter: उमेश पाल शूटआउट के बाद से ही अतीक अहमद के बेटा असद अहमद और शूटर गुलाम फरार हो गए थे. पुलिस उनके पीछे पूरी ताकत के साथ जुटी हुई थी, ऐसे में अपने बेटे को बचाने के लिए अतीक अमहद और उसका भाई अशरफ दोनों जेल से ही पूरी कोशिश कर रहे थे. खबरों के मुताबिक अतीक ने अपने बेटे की मदद के लिए दिल्ली में एक पूर्व सांसद और माफिया डॉन अबू सलेम के गुर्गों तक की मदद ली थी. 


असद अहमद और शूटर गुलाम जब पुलिस से बचते हुए भाग रहे थे तो अतीक के कहने पर ही दिल्ली में एक पूर्व सांसद ने असद की मदद की थी. असद कानपुर होते हुए नोएडा पहुंचा था, वो कुछ समय तक नोएडा में भी रहा था जहां वो पढ़ाई के वक्त भी रहता था, लेकिन जब उसे लगा कि पुलिस उसका पीछा करते हुए यहां तक भी पहुंच सकती है, इसके बाद वो डीएनडी होते हुए दिल्ली में पहुंचा. यहां पर एक पूर्व सांसद की मदद से वो संगम विहार इलाके में छुपा रहा. 


अबू सलेम के गुर्गों ने की मदद


असद और गुलाम यहां से महाराष्ट्र के नासिक और पुणे भी गए थे. इस दौरान अतीक का भाई अशरफ फेसटाइम के जरिए उससे संपर्क कर रहा था. अशरफ ने ही असद और गुलाम को नासिक जाने के लिए कहा था, जहां अबू सलेम के गुर्गों ने इन दोनों की मदद की और उनके रहने का इंतजाम किया. अतीक अहमद का अबू सलेम से भी पुरानी रिश्ता रहा है. साल 2007 में बसपा सरकार में जब अतीक अहमद पर पुलिस प्रशासन का शिकंजा कस रहा था तो अबू सलेम ने ही अतीक की फरारी कटवाई थी और अब जब उसके बेटे पर मुसीबत आई तो अतीक ने फिर से अबू सलेम के गुर्गों से ही मदद ली. 


पुलिस लगातार असद और गुलाम के फुटप्रिंट्स का पीछा कर रही थी. इस बीच जब असद को भनक लगी कि पुलिस उनके पीछे यहां तक पहुंच सकती है, तो वो भागकर झांसी आ गया. सूत्रों के मुताबिक असद और गुलाम यहां अतीक अहमद को पुलिस कस्टडी से भगाने की फिराक में थे. उनकी कोशिश की थी जब पुलिस अतीक को झांसी से लेकर गुजरेगी तो उसके काफिले पर हमला कर उसे छुड़ा लेंगे. उनके पास अत्याधुनिक हथियार भी थे, लेकिन इससे पहले वो अपने मंसूबों में कामयाब हो पाता पुलिस ने उसे एनकाउंटर में ढेर कर दिया.


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