UP Nikay Chunav 2023: फिरोजाबाद में BJP के लिए मुसीबत बनेगी असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, अखिलेश यादव को होगा फायदा?
Firozabad Nagar Nigam: 2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी नूतन राठौर 98,928 वोट लाकर पहले स्थान पर रही थीं और 42,392 वोटों से जीती थी.
UP Nagar Nikay Chunav 2023: फिरोजाबाद (Firozabad) में नगर निगम चुनाव के लिए 4 मई 2023 को मतदान किया जाएगा. फिरोजाबाद नगर निगम ओबीसी महिला आरक्षित सीट है. यहां पर 5 लाख 63 हजार 730 मतदाता हैं जो मतदान करेंगे. अगर फिरोजाबाद के आवेदकों की बात करें तो इस समय अहम टक्कर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच है.
समाजवादी पार्टी की मजबूत आवेदक की बात करें तो समाजवादी पार्टी से 25 साल से लगातार जुड़े हुए कार्यकर्ता राजकुमार राठौर की पत्नी मीना राठौर ने मेयर के लिए आवेदन किया है. जिनकी उम्र 40 साल है. समाजवादी पार्टी की आवेदक मीना राठौर की बात करें तो उन्होंने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की है और घरेलू महिला हैं. आज तक उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा. उन्हें उम्मीद है कि इस बार अगर टिकट मिलती है तो वह जरूर जीतकर आयेंगी.
वहीं भारतीय जनता पार्टी से मजबूत दावेदारों में पार्षद हरिओम वर्मा की पत्नी मंजू वर्मा हैं जो कि 2007 में सभासद का भी चुनाव लड़ चुकी हैं और जीती थी. हरिओम वर्मा की बात करें तो वो लगातार 25 साल से सभासद का चुनाव जीतते आ रहे हैं. हरिओम वर्मा की पत्नी मंजू वर्मा की उम्र 57 साल है. उन्होंने इंटर की परीक्षा पास की है और वह घरेलू महिला हैं.
वहीं बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस पार्टी और एआईएमआईएम पार्टी के जिला अध्यक्ष का कहना है कि अभी आवेदक आ रहे हैं. जब तक पूरे आवेदन नहीं आ जाते तब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाएगी.
2017 के परिणाम
2017 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी नूतन राठौर 98,928 वोट लाकर पहले स्थान पर रही थीं और 42,392 वोटों से जीती थी. वही दसरे नंबर पर एआईएमआईएम की प्रत्याशी मशरूम फातमा रही थीं जो 56,536 वोट लाई थीं. वहीं तीसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सावित्री देवी थीं जिन्हें 45,917 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर 41,524 वोट के सात बहुजन समाज पार्टी की पायल राठौर थीं. वहीं पांचवें नंबर पर कांग्रेस की शाहजहां परवीन 13,926 वोट के साथ थीं.
लेकिन इस बार सियासत कुछ और ही कह रही है. इस बार भारतीय जनता पार्टी के लिए इस सीट को निकालना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि अगर इस बार मुस्लिम वोट एआईएमआईएम में न जाकर समाजवादी पार्टी में चला गया तो समाजवादी पार्टी भी जीत का परचम लहरा सकती है. अब देखना यह है कि 4 मई को मतदान होने के बाद 13 मई को कौन अपना परचम लहराता है.