UP Assembly Election 2022: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने बुधवार को कहा कि वह मुसलमानों (Muslims) का वोट काटने के लिए नहीं बल्कि उन्हें सियासत में हिस्सेदारी दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh assembly elections) के मैदान में उतर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) द्वारा उन्हें 'बीजेपी का चचा जान' कहे जाने पर ओवैसी ने कहा कि टिकैत को ऐसी सियासत बंद करनी चाहिए.


ओवैसी ने कहा कि ''उत्तर प्रदेश में जितने भी समाज हैं, उनका एक नेता है, उन सभी का राजनीतिक सशक्तिकरण है और उनकी एक आवाज भी है. मगर मुसलमानों के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हमारा मकसद मुसलमानों को राजनीतिक भागीदारी दिलाना है.'' मुसलमानों के वोट काटने के लिए चुनाव मैदान में उतरने के खुद पर लग रहे आरोप का जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा, "मुसलमान किसी राजनीतिक दल के बंधुआ या कैदी नहीं हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मुझ पर मुस्लिम वोट काटने का इल्जाम लगा रहे हैं लेकिन वह यह क्यों नहीं बताते कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 75 फीसदी मुसलमानों ने समाजवादी पार्टी को वोट दिया मगर इसके बावजूद उनकी पत्नी और दोनों भाई चुनाव कैसे हार गए? अखिलेश जी यह क्यों नहीं कहते कि उन्हें हिंदू वोट नहीं मिला इसलिए वह हार गए."


सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की भागीदारी का सबसे कम प्रतिशत यूपी में- ओवैसी


इस सवाल पर कि मुसलमानों की बात करना क्या उनकी रणनीति का हिस्सा है, ओवैसी ने कहा, "सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की भागीदारी का सबसे कम प्रतिशत उत्तर प्रदेश में ही है. यहां सिर्फ दो प्रतिशत मुस्लिम ही स्नातक तक पहुंच पाते हैं. इसके लिए कौन जिम्मेदार है? और कथित धर्मनिरपेक्ष दलों ने मुसलमानों का वोट तो लिया लेकिन बदले में उनके सशक्तिकरण के लिए कुछ नहीं किया. एआईएमआईएम इसी कमी को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश के चुनाव मैदान में उतरी है."



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