यूपी: सम्मेलनों की सियासत में ओवैसी भी कूदे, अगले महीने से मंडल स्तर पर करेंगे बुद्धिजीवियों के कार्यक्रम
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम अगले महीने से मंडलों में सम्मेलन की शुरुआत करने जा रही है. मंडल स्तर पर होने वाले इन सम्मेलनों में खुद पार्टी मुखिया ओवैसी भी शामिल होंगे.
Asaduddin Owaisi in UP Politics: यूपी में इन दिनों जातियों के नाम पर सम्मेलन की सियासत जोरों पर चल रही है. बीएसपी के साथ ही बीजेपी और समाजवादी पार्टी सम्मेलनों के जरिए ब्राह्मणों को रिझाने की मुहिम छेड़े हुए हैं. इन बड़ी पार्टियों की उठापटक के बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी अगले महीने से मंडलों में सम्मेलन की शुरुआत करने जा रही है. मंडल स्तर पर होने वाले इन सम्मेलनों में खुद पार्टी मुखिया ओवैसी भी शामिल होंगे. हालांकि, एमआईएम के सम्मेलन किसी जाति विशेष को फोकस करने के बजाय सभी के लिए होंगे.
सभी वर्गों को बुलाया जाएगा
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत अली के मुताबिक उनकी पार्टी किसी एक जाति या मजहब का ठप्पा अपने ऊपर नहीं लगाना चाहती है. पार्टी जातियों के बजाय समाज के सभी वर्गों के अधिकारों का मुद्दा उठाना चाहती है, इसलिए अगले महीने शुरू हो रहे असदुद्दीन ओवैसी के सम्मेलनों में सभी वर्गों को बुलाया जाएगा और उन्हें पार्टी की नीतियों के बारे में बताते हुए पार्टी से जोड़ने की कोशिश की जाएगी.
10 अगस्त के आसपास होगी शुरुआत
शौकत अली के मुताबिक असदुद्दीन ओवैसी के सम्मेलनों की शुरुआत 10 अगस्त के आसपास कानपुर या प्रयागराज से की जाएगी. उन्होंने साफ किया कि पार्टी इन दिनों कई जिलों में कार्यकर्ता सम्मेलन कर रही है, लेकिन मंडल स्तर पर होने वाले ओवैसी के सम्मेलनों में समाज के अलग-अलग तबके के प्रबुद्ध लोगों को बुलाकर उनसे बातचीत की जाएगी. उन्होंने जानकारी दी कि कोरोना के हालात सामान्य होने के बाद ओवैसी जिलों में जाकर जन सभाएं भी करेंगे.
खुले हैं पार्टी के दरवाजे
प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली के मुताबिक उनकी पार्टी और भागीदारी मोर्चा सपा या बीएसपी के साथ गठबंधन के दरवाजे अब भी खोले हुए है. अगर इन दोनों में से कोई भी पार्टी हकीकत में बीजेपी को हराना चाहती है तो उसे भागीदारी मोर्चे के साथ तालमेल करके ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने कांग्रेस को डूबता हुआ जहाज बताकर उससे गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करने की कोशिश की. ये आरोप जरूर लगाया कि ब्राह्मण सम्मेलन के जरिए इस तबके को रिझाने की कोशिश करने वाली पार्टियों को कतई इस वर्ग से कोई हमदर्दी नहीं है, ये सिर्फ ब्राह्मणों का वोट हासिल करने की सियासत है.
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