(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना वैक्सीन के बहाने आशा कार्यकर्ता ने करवा दी युवक की नसबंदी, जांच में सामने आया ये ट्विस्ट
एटा में एक युवक ने आशा कार्यकर्ता पर धोखे से ले जाकर उसकी नसबंदी कराने का आरोप लगाया है. हालांकि, सीएमओ की जांच में ये आरोप झूठा पाया गया है.
यूपी के एटा जिले में हैरान कर देने वाला एक मामला सामने आया है. आरोप है कि आशा कार्यकर्ता ने कोरोना वैक्सीन लगवाने के बहाने एक अविवाहित शख्स की नसबंदी करा दी. बाद में जब पीड़ित के घरवालों को इसका पता चला तो पुलिस से इसकी शिकायत की गई. मामले को लेकर अवागढ़ थाना में तहरीर दी गई है.
पीड़ित का नाम ध्रुव कुमार बताया जा रहा है. 40 वर्षीय ध्रुव कुमार ने स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा कार्यकर्ता पर कोरोना का टीका लगवाने के बहाने से धोखे से ले जाकर नसबंदी करा देने का आरोप लगाया है. ध्रुव के भाई अशोक कुमार ने पुलिस से इसकी शिकायत की है. पीड़ित ने आरोप लगाया है कि नीलम नाम की एक आशा कार्यकर्ता उसके घर आई और कोरोना का टीका लगवाने के बहाने जिला महिला अस्पताल ले गई. वहां उसने धोखे से ध्रुव की नसबंदी करवा दी. थाना प्रभारी अवागढ़ को दिए अपने प्रार्थना पत्र में अशोक ने आरोपी आशा कार्यकर्ता और नसबंदी करने वालों पर कार्रवाई की मांग की है.
जांच में सामने आया ट्विस्ट
ये मामला अजीबोगरीब था इसलिए इसमे थाना अध्यक्ष ने सीधे कार्यवाही न कर एटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को एक पत्र लिखकर जांच करवाने की मांग की. मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी ने तीन सदस्यों की टीम बनाकर जांच टीम बनाई. इस मामले में जांच टीम ने संयुक्त रूप से जांच कर अपनी रिपोर्ट सीएमओ को सौंप दी है. स्वास्थ्य विभाग की जांच में नया ट्विस्ट सामने आया है. जांच रिपोर्ट के अनुसार आशा कार्यकर्ता निर्दोष है. रिपोर्ट में कहा गया कि ध्रुव की नसबंदी उसके भाई, भाभी और खुद उसकी सहमति से की गई थी.
पैसों के लालच में लगाया झूठा आरोप
आशा कार्यकर्ता नीलम ने भी बताया कि ध्रुव कुमार की भाभी मिथिलेश और भैया अशोक की मर्जी से ही नसबंदी की गई थी. नीलम ने बताया कि संजू नाम के एक दलाल ने ध्रुव और उसके परिवार को पैसों का लालच दिया था. संजू ने उनसे कहा था कि धोखे से नसबंदी का झूठा आरोप लगाने पर उसे लाखों रुपये मिल जाएंगे. नीलम ने बताया कि 11 जुलाई को ही रात 9.30 बजे दलाल संजू उसके घर गया और 20 हजार रुपये लेकर मामले को रफा दफा करने को कहा. ऐसा न करने पर उसने जेल भिजवाने की धमकी भी दी.
"ध्रुव गूंगा-बहरा नहीं"
सीएमओ ने कहा कि धोखे से नसबंदी करवाने की बात गलत है क्योंकि नसबंदी से पहले कॉउंसलिंग होती है, बातचीत होती है. उन्होंने कहा कि जांच टीम पीड़ित से मिलने उसके गांव विशनपुर गयी थी पर परिजनों ने ध्रुव कुमार को कहीं छिपा दिया और मिलने नहीं दिया. उन्होंने ये भी कहा कि ये कहना गलत है कि पीड़ित ध्रुव गूंगा और बहरा है. उन्होंने कहा कि गांव के प्रधान और अन्य लोगों ने लिखित में दिया है कि ध्रुव कुमार बोल भी लेता है और सुन भी लेता है.
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