Lakhimpur Violence Case: लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई 26 सितंबर को होगी. जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ के सामने आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक क्षेत्र में कुछ गोलीबारी आदि हुई थी, कुछ लोग मारे गए और इनको मुख्य आरोपी बनाया गया. जबकि हमारे पक्ष को सुना भी नहीं गया. जस्टिस बनर्जी ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं.


हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की थी खारिज


इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आशीष मिश्रा को जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि लखीमपुर मामले में 4 किसानों की मौत हो गई थी. ये तथ्य की बात है कि मौके पर आशीष मिश्रा की गाड़ी बरामद हुई थी. ये मामला जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है. जस्टिस कृष्ण पहल की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि आशीष राजनीतिक रूप से इतना प्रभावशाली है कि वह गवाहों और मामले की सुनवाई को प्रभावित कर सकता है.


जमानत याचिका खारिज होने के बाद आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


किसानों को कुचलने का आरोप


मालूम हो कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी से 70 किमी दूर तिकोनिया इलाके में 3 अक्टूबर को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की कार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचल दिया था. 


घटना के बाद केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ़ मोनू के खिलाफ हत्या, गैर इरादतन हत्या, दुर्घटना करने की धाराओं में मामला दर्ज हुआ था. 


इस मामले में यूपी की SIT टीम ने 5 हजार पेज की चार्जशीट दाखिल की थी. SIT ने अपनी चार्जशीट में आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी बताया था. इतना ही नहीं एसआईटी के मुताबिक, वह घटनास्थल पर ही मौजूद था.


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