UP Politics: उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने शनिवार को कहा कि कानून का शासन हर किसी पर लागू होता है, चाहे वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हों, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता आजम खां हों या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का ही कोई नेता क्यों न हो.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के विपक्षी नेताओं पर झूठे मामले दर्ज करने के आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी नेता असीम अरुण ने कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी के एक सदस्य को सजा के बाद पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था.
खतौली से दो बार के विधायक विक्रम सैनी को 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े एक मामले में अदालत द्वारा दो साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद 2022 में विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था.
'इससे मानहानि हुई'
असीम अरुण ने कहा, ‘‘सैनी के खिलाफ एक आपराधिक मामला था और वह इसमें दोषी पाए गए थे. उनकी सीट खाली हो गई और उस पर उपचुनाव हुआ.’’ बीजेपी ने उपचुनाव में सैनी की पत्नी को मैदान में उतारा था, लेकिन वहां से राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) का उम्मीदवार जीता था.
बीजेपी नेता ने कहा, ‘‘यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सभी जानते हैं कि राहुल गांधी ने क्या कहा था. क्या आपको लगता है कि यह मानहानि के बराबर है? मुझे इसका जवाब ‘हां’ लगता है, इससे मानहानि हुई है.”
उन्होंने कहा, “आप कानून की किताब पढ़ते हैं और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 के अनुसार यह साफतौर पर मानहानि है.’’ असीम अरुण ने कहा कि चाहे आजम खां हों या उनके बेटे अब्दुल्ला आजम, हर मामला कड़ी कानूनी प्रक्रिया से गुजरा है. अखिलेश यादव ने बीजेपी पर विपक्षी दलों के नेताओं को झूठे मामलों में फंसाकर उन्हें अयोग्य ठहराने का आरोप लगाया है.
अखिलेश यादव पर लगाया आरोप
असीम अरुण ने अखिलेश पर आरोप लगाते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के शासन में राज्य पुलिस का मनोबल चरमरा गया था, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पुलिस गोलियों का जवाब गोलियों से दे रही है.
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी से राजनेता बने असीम अरुण ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव की यह टिप्पणी कि मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मी 'भविष्य में जेल जाएंगे' उनके द्वारा बल का मनोबल गिराने का एक और प्रयास है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, 20 मार्च 2017 से 15 मार्च 2023 के बीच पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में 178 खूंखार अपराधी मारे गए हैं और 4,947 घायल हुए हैं.
आंकड़ों के अनुसार, इन मुठभेड़ में 13 पुलिस अधिकारी ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए, जबकि 1,428 अधिकारी घायल हो गए.