कानपुर: प्रदूषण से बेहाल शहर, बढ़ते जा रहे हैं अस्थमा और निमोनिया के मरीज,घट रही है फेफड़ों की कार्यक्षमता
कानपुर देश के प्रदूषित शहरों में से एक है. वहीं, कोरोना, ठंड और सर्दी का ट्रिपल अटैक शहर वासियों के शरीर पर प्रतिकूल असर डाल रहा है. यहां डाक्टरों का कहना है कि, फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं और कार्यक्षमता लगातार घटती जा रही है.
कानपुर: एक ओर कोरोना का कहर लगातार जारी है तो दूसरी ओर देश में इन दिनों प्रदूषण और धुंध ने अलग-अलग शहरों में कोहराम मचा रखा है. वायु प्रदूषण से कानपुर एक बार फिर बेहाल है. शहर में सांस संबंधी बीमारी और चेस्ट संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, तो वहीं, ठंड की दस्तक ने भी लोगों को परेशान किया है. यानी कानपुर में लोगों को ट्रिपल अटैक का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में डॉक्टरों ने इंसानी शरीर को इससे होने वाले नुकसान को लेकर एक चितांजनक सर्वे किया है.
बढ़ रही है निमोनिया, अस्थमा जैसी बीमारियां
प्रदूषण, धुंध और कोहरा हमारे आपके लिए जानलेवा है. कानपुर देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में एक है, तो यहां पर समस्या भी तेजी से बढ़ी है. डॉक्टरों ने इसे लेकर एक नया रिसर्च किया है. जो हमारे,आपके लिए वाकई गंभीर बात है. दरअसल प्रदूषण और शहर के ऊपर आए दिन छाई रहने वाली धुंध इंसानी शरीर में मौजूद फेफड़ों की क्षमता को दिनों-दिन घटा रहा है. इससे निमोनिया, अस्थमा सहित कई बीमारियों के होने की क्षमता 10 फीसदी बढ़ जाती है. डॉक्टरों के मुताबिक इन दिनों दमा,अस्थमा से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है.
घट रही है फेफड़ों की कार्यक्षमता
इन दिनों कानपुर के अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या काफी अधिक देखने को मिल रही है. शहर में छाई धुंध, प्रदूषण के साथ-साथ उड़ते धूल के कण लोगों को बीमार बना रहे हैं और यही कारण है कि फेफड़ों की कार्यक्षमता घट रही है. फेफड़े कमजोर होने से निमोनिया, सांस फूलने जैसी बीमारियां हावी हो जाती हैं.
वैसे कानपुर प्रशासन इन दिनों प्रदूषण से बचने के लिए खूब जोर-आज़माइश कर रही है, लेकिन उसके दावे अभी तक कारगर साबित होते नज़र नहीं आ रहे हैं. ऐसे में जानकारों के मुताबिक, सावधानी और सेहत के प्रति सजगता ही हमें इन रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकती है.
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