मन को शांत करने वाले नौ ग्रहों के नौ मंत्र...चमत्कारिक लाभ देता है इनका जाप
मंत्रों के जाप करने से आप सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रह होते हैं और इनके अलग-अलग मंत्र होते हैं।
ज्योतिष के अनुसार प्रत्यक व्यक्ति के जीवन में ग्रह नक्षत्रों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु हैं। ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रहों का मंत्र होता है। इन मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक विचार आते हैं, मन स्थिर रहता है। हम आपको बता रहे हैं कि इन मंत्रों का जाप किस तरह करना चाहिये और क्या इनकी विधि होती है।
मंत्र के जाप करने की विधि
जिस ग्रह के मंत्र का जाप करना चाहते हैं, उस ग्रह की विधिवत पूजा करें। पूजन में सभी आवश्यक सामग्रियां अर्पित करें। ग्रह पूजा के लिए किसी ब्राह्मण की मदद भी ली जा सकती है। पूजा में संबंधित ग्रह के मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है।
सूर्य मंत्र - ऊँ सूर्याय नम:। रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
चंद्र मंत्र - ऊँ सोमाय नम:। इस मंत्र का जाप प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग के सामने बैठकर करना चाहिए।
मंगल मंत्र - ऊँ भौमाय नम:। इस मंत्र का जाप भूमि पुत्र मंगल के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप मंगलवार को करना चाहिए।
बुध मंत्र - ऊँ बुधाय नम:। इस मंत्र का जाप हर बुधवार को करना चाहिए। मंत्र जाप गणेशजी के मंदिर में कर सकते हैं।
गुरु मंत्र - ऊँ बृहस्पतये नम:। इस मंत्र जाप से शिवलिंग के सामने बैठकर करना चाहिए। जाप हर गुरुवार को करना चाहिए।
शुक्र मंत्र - ऊँ शुक्राय नम:। इस मंत्र का जाप शिवलिंग के सामने बैठकर हर शुक्रवार को करना चाहिए।
शनि मंत्र - ऊँ शनैश्चराय नम:। हर शनिवार को शनिदेव के सामने बैठकर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
राहु मंत्र - ऊँ राहवे नम:। केतु मंत्र - ऊँ केतवे नम:। हर शनिवार इन ग्रहों के मंत्रों का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप शनिदेव की प्रतिमा के सामने बैठकर करना चाहिए।