नई दिल्ली, (सचिन बाजपेयी)। दुनिया को मोहब्बत का पैगाम देने वाला ताजमहल चर्चा में है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताज का दीदार करने आगरा दौरे पर आ रहे हैं। हम आपको ऐतिहासिक इमारत ताजमहल से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ताज पर अपनी भावनाएं किस प्रकार व्यक्त की थीं। साल 1977 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लियोनार्ड जेम्स केलघन भारत दौरे पर आये थे और ताज का दीदार करने आगरा पहुंचे थे। उस वक्त भारत के विदेश मंत्री अटल जी थे और वे ब्रिटिश राष्ट्राध्यक्ष के स्वागत के लिये ताजमहल पहुंचे थे।



परंपरा के तहत ताजमहल देखने के बाद विजिटर बुक पर एक टिप्पणी लिखी जाती है। लेकिन अटल बिहारी बाजपेयी ने ताज पर कोई कमेंट नहीं किया। इस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के उस वक्त वरिष्ठ संरक्षण सहायक रहे डॉक्टर आरके दीक्षित ने उनसे निवेदन किया कि वह अपने विचार साझा करें लेकिन अटल जी ने दार्शनिक अंदाज में उनसे कहा कि ताजमहल पर लिखी मेरी कविता पढ़ लेना।


अटल जी ने ताजमहल पर लिखी कविता में न तो शाहजहां-ममुताज की मोहब्बत की बात की और न ही इस इमारत की खूबसूरती की चर्चा की। उन्होंने भव्य इमारत बनाने वाले श्रमिकों को याद किया और एक कविता लिखी। कहा जाता है कि ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ काट दिये गये थे। अपनी कविता में अटल जी ने इस दर्द को साझा किया है।


'यह ताजमहल, यह ताजमहल
यमुना की रोती धार विकल
कल कल चल चल
जब रोया हिंदुस्तान सकल
तब बन पाया ताजमहल
यह ताजमहल, यह ताजमहल..