Atiq Ahmed Murder Case: उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज में कल्विन अस्पताल के सामने मारे गए अतीक अहमद और अशरफ की हत्याकांड के बाद पुलिस पर कई सवाल उठ रहे हैं. एक ओर जहां अतीक और अशरफ पहले ही यह आरोप लगा रहे थे कि उनकी हत्या कराई जा सकती है, ऐसे में उनकी सुरक्षा और पुख्ता क्यों नहीं की गई. इसके अलावा कल्विन अस्पताल की सीएमएस ने यहां तक दावा किया कि अस्पताल प्रशासन को मेडिकल कराने की जानकारी पहले नहीं दी गई थी.
डॉ. नाहिद ने इस बाबत दावा किया था कि उन्हें या अस्पताल प्रशासन को इस बात की प्राथमिक सूचना नहीं दी गई थी कि अतीक और अशरफ का मेडिकल होगा. दोनों के अस्पताल आने के 10 मिनट पहले ही सूचना दी गई. दीगर है कि अतीक और अशरफ, उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस की 4 दिन की रिमांड पर थे. इसी दौरान अरुण मौर्या, लवलेश तिवारी और सनी ने उनकी हत्या कर दी.
क्यों नहीं हुई क्रॉस फायरिंग?
हालांकि पुलिस ने तीनों आरोपियों को मौके से ही हिरासत में लिया और बाद मे में उनसे पूछताछ कर गिरफ्तार किया. एक ओर इस मामले में जहां पुलिस की सक्रियता बड़ी चर्चा में है कि किस तरह से अफरातफरी में पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया तो वहीं सवाल यह भी उठ रहे हैं कि आखिर पुलिस ने क्रॉस फायरिंग क्यों नहीं की? हालांकि आरोपियों में से एक लवलेश तिवारी को गोली लगने की सूचना अगले दिन यानी रविवार को आई लेकिन ये कैसे लगी अभी तक पुलिस ने इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है.
दीगर है कि आरोपियों ने उस वक्त अतीक और अशरफ को गोली मारी जब वो मीडिया से बात कर रहे थे. अतीक, गुड्डू मुस्लिम को लेकर कुछ बयान दे रहा था कि तभी आरोपियों में से एक ने पहले पूर्व सांसद को और फिर उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ को गोली मार दी. गोली चलते ही मौके पर अफरातफरी फैल गई और लोग तितर बितर हो गए. उधर पुलिस भी हरकत में आ गई और तीनों आरोपियों को दबोच लिया.
क्या दिया जवाब?
हालांकि आरोपियों के गोली चलाने के बाद पुलिस का क्रॉस फायरिंग न करना चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी सवाल पर पूर्व आईपीएस और यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन ने कहा कि- 'सब कुछ एकाएक हुआ. ऐसे में पुलिस कर्मियों को समय नहीं मिला. हालांकि ऐसे अफरातफरी भरे माहौल में फायरिंग करने का फैसला पेशेवर तरीका भी नहीं है.'
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार एक अन्य सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने कहा- 'अगर तीनों आरोपी मौके पर ही मार दिए जाते तो पुलिस के पास इस साजिश का खुलासा करने का कोई रास्ता नहीं बचता. ऐसी दशा में पुलिस पर ही सबूत मिटाने के आरोप लगते.' अखबार के अनुसार एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि संभवतः पुलिस को मौके पर जवाब देने का मौका नहीं है.