पाकिस्तानी एजेंसी ISI से थे अतीक अहमद के संबंध, पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में हुए अहम खुलासे
Umesh Pal Murder Case: उमेश पाल हत्याकांड में अहम खुलासे हुए हैं. माफिया अतीक अहमद ने पुलिस को बताया था कि प्लान के मुताबिक उमेश पाल की हत्या में मेरे बेटे असद को सामने से आकर गोली नहीं मारनी थी.
Atiq Ahmed News: उमेश पाल और दो सरकारी गनर की हत्या के मामले में पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट में अहम खुलासे हुए हैं. पुलिस को दिए गये बयान में माफिया अतीक अहमद ने कई बड़े खुलासे किए थे. अतीक अहमद ने पुलिस को बयान दिया था कि उसके संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से हैं. पाकिस्तान से उसके गिरोह को हथियार मिलते हैं.
माफिया अतीक अहमद ने उमेश पाल शूटआउट केस में पूरे परिवार के शामिल होने की बात भी कबूली थी. पुलिस द्वारा बयान दर्ज करने के बाद 15 अप्रैल को माफिया अतीक और अशरफ की पुलिस कस्टडी में काल्विन अस्पताल में हत्या कर दी गई थी. कोर्ट में दाखिल चार्जशीट के मुताबिक अतीक ने पुलिस को कुछ अहम जानकारियां दी थी.
अतीक अहमद ने किए थे कई खुलासे
प्रयागराज वा कौशांबी जिले वा आसपास के क्षेत्र में विवादित जमीन को खरीदना व उसकी खाली कराना और उसको महंगे दामों बेचना ही उसका मुख्य पेशा था. इस कारोबार में दबदबे की जरूरत होती थी. जिसके लिए 100 से 200 लोगों की जरूरत थी जो एक इशारे पर अतीक के लिए किसी की भी जान ले सकते थे. अतीक ने अपने बयान में एक कहानी भी सुनाई थी. उसने कहा था कि चांद मियां नाम के गुंडे ने मुझे दबाने का प्रयास किया, लेकिन मैं बिल्कुल नहीं दबा और अपने उसूल के मुताबिक उसे अपने रास्ते से हटाने के लिए उसकी हत्या भी कर दी.
हार का बदला लेने के लिए की थी हत्या
अतीक ने पुलिस चार्जशीट में बताया कि 2004 में मेरे भाई अशरफ के खिलाफ बीएसपी के राजू पाल ने चुनाव लड़ा और जीत गया. यह हार बर्दाश्त नहीं हुई जिसके कारण राजू पाल को दिन दहाड़े सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर गोलियों से छलनी कर दिया गया. राजू पाल हत्याकांड का चश्मदीद गवाह उमेश पाल था, जिसको कई बार समझाया गया कि रास्ते से हट जाए, लेकिन उसने मेरी बात नहीं मानी और अंत में उमेश पाल को भी अपने रास्ते से हटाना पड़ा.
अतीक ने बताया कि मेरे बेटे असद को अशरफ ने अपने शागिर्दी में ले लिया और इतना साहसिक बना दिया कि वह कत्ल जैसी घटना को आसानी से अंजाम दे सकता था. अशरफ कहता था कि हम लोगों के बाद गैंग की कमान असद संभालेगा. उमेश पाल अपहरण केस में उमेश पाल ने मेरे और मेरे भाई के खिलाफ गवाही दी. जिसको लेकर मेरे भाई अशरफ, मेरी पत्नी शाइस्ता, अशरफ की पत्नी जैनब, मेरी बहन आयशा नूरी, बहनोई एखलाक और मेरे बच्चों ने कहा अगर उमेश पाल का कोई ठोस इंतजाम नहीं होगा तो उमेश पाल हम लोगों को बर्बाद कर देगा.
हत्या के लिए कोडवर्ड का करता था इस्तेमाल
उमेश पाल हत्याकांड के लिए सभी का कोडवर्ड में नाम रखा गया था. मेरा बड़े, अशरफ का छोटे, गुलाम का गुल्लू, असद का ठाकुर व एहजाम का मोटू. उमेश पाल की हत्या के लिए यह तय किया गया था कि मेरा बेटा असद, शूटर गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, अरमान, अरबाज, विजय चौधरी और साबिर के साथ रहेगा, लेकिन प्लान के मुताबिक उमेश पाल की हत्या में मेरे बेटे असद को सामने आकर गोली नहीं मारनी थी. यह तय हुआ था कि अगर शूटरों ने काम पक्का नहीं किया तब मेरा बेटा असद आगे बढ़कर काम को पक्का करेगा. प्लान था कि उमेश पाल किसी भी हाल में बचना नहीं चाहिए और और पुलिस वाले भी बचने नहीं चाहिए.
पुलिस ने किया साजिश का पर्दाफाश
अतीक ने पुलिस चार्जशीट में बताया कि उमेश पाल की हत्या के बाद हम लोगों की हालत बद से बदतर हो गई क्योंकि पुलिस ने सारी साजिश का पर्दाफाश कर दिया था. अगर मालूम होता पुलिस इतनी सरगर्मी से कार्रवाई करेगी तो 100 बार सोचता. उमेश पाल के कत्ल को लेकर मैंने और मेरे भाई अशरफ ने जेल में रहकर साजिश तैयार की और इस घटना को अंजाम दिलाया. हमारी बीवी-बच्चों ने हमारे कहने पर अपने साथियों के साथ मिलकर तीनों की हत्या की थी.
हथियार कहां से लाते थे?
अतीक ने बताया कि मेरे पास हथियार की कोई कमी नहीं है क्योंकि मेरे संबंध पाकिस्तान एजेंसी आईएसआई से हैं. पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए पंजाब की सीमा में हथियार गिराए जाते हैं. जिनको लोकल कनेक्शन इकट्ठा कर लेता है. उन्हें जम्मू कश्मीर के दशरथगढ़ से भी हथियार मिलते हैं. लोकल लोग ये हथियार हमारे लोगों को मुहैया कराते थे. यहीं के हथियार खालिस्तान में आंदोलन चलाने वालों को भी भेजे जाते हैं
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