Atiq Ahmed News: अतीक के खिलाफ राजूपाल हत्याकांड की जांच करने वाले अधिकारी का सनसनीखेज दावा, पाकिस्तान को लेकर ये कहा
Atiq Ahmed News: अतीक अहमद के खिलाफ राजूपाल हत्याकांड मामले की जांच करने वाले अधिकारी ने खुलासा किया है कि जांच के दौरान उन्हें अतीक के गुर्गों से धमकी मिली थी. कई बार पाकिस्तान के नंबर से भी फोन आए.
Atiq Ahmed Shootout: अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ (Ashraf) की हत्या के बाद एक बार फिर राजूपाल हत्याकांड का मामला सुर्खियों में आ गया है. राजूपाल की हत्या के बाद प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया था. तब इस मामले के चौथे जांच अधिकारी रहे रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर नारायण सिंह ने इसे लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं. नारायण सिंह झांसी के चुरारा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि जब वो मामले की जांच कर रहे थे तो उन्हें पाकिस्तान से धमकी मिली थी.
मऊरानीपुर तहसील के चुरारा गांव निवासी नारायण सिंह ने बताया कि जब राजूपाल की हत्या के मुकदमे की जांच उनको मिली तब तक उस मामले में एक चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हो चुकी थी और पूरे मामले में तीन पुलिस के अधिकारियों द्वारा जांच की गई थी, लेकिन जांच करने वाले पुलिस के अधिकारियों ने एफआईआर में दर्ज मुजरिम को जांच में से निकलने का ही काम किया जबकि राजू पाल की हत्या में कई लोग शामिल थे. जांच करते-करते नारायण सिंह ने राजूपाल की हत्या से जुड़े अहम सबूत और हत्या में शामिल लोगों की भूमिका की जांच शुरू की तब तक नारायण सिंह को नेताओ और संसद अतीक अहमद के लोगों से धमकियां मिलने लगी.
जांच के दौरान मिली थी धमकी
नारायण सिंह ने बताया कि उन पर मुजरिम को जांच में से निकालने के लिए दवाब बनाया जाने लगा और कई बार पाकिस्तान के नंबरों से भी उनके पास फोन आए. सबसे ज्यादा दबाव गुड्डू बमबाज और अब्दुल कवि को निकालने के लिए बनाया गया, लेकिन जब नारायण सिंह नहीं माने तो पैसे के प्रलोभन में इनको खरीदने का काम किया हालांकि तब भी वो उसके आगे नहीं झुके थे. नारायण सिंह ने तबके सांसद अतीक अहमद पर गैंगस्टर की कार्रवाई कराई थी. यहां तक कि 14 वन की कार्रवाई में अतीक अहमद की 200 करोड़ की संपत्ति भी उस वक्त अटैच की गई थी.
नारायण सिंह परिहार ने प्रयागराज जिले में बतौर दरोगा पहला चार्ज मेजा थाने का साल 2006-2007 में लिया था. तीन महीने बाद उन्हें सराय ममरेश का थानाध्यक्ष बनाया गया. 6 महीने बाद उनका तबादला सिविल लाइन थाने में बतौर एसएसआई के तौर पर कर दिया गया. इस दौरान उन्हें अतीक के खिलाफ पहली विवेचना वादी मुकदमा सईद अहमद की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर हुए फर्जी वाड़े पर मिली थी, जिसमें अतीक ने 28 दुकानें, 800 वर्ग मीटर में बनाकर कब्जा कर लिया था. साल 2007 में ,25 सौ वर्ग मीटर में बनी दुकानों को सांसद अतीक ने गुंडई की दम पर जैन बंधुओ को बेचकर एक करोड़ बैंक ड्राफ्ट और चेक अपने खाते में ट्रांसफर करवाकर भुगतान भी निकाल लिया था, जबकि दुकानों के बिकने से मिलने वाला पैसा सईद अहमद को मिलना चाहिए था.
नारायण परिहार तीसरी विवेचना राजूपाल हत्याकांड को लेकर मिली थी. जिसमें अब्दुल कवि और गुड्डू मुस्लिम समेत कई लोगों का नाम सामने आया था. अतीक अहमद के प्रभाव में लेकर अब्दुल कवि को राजू पाल हत्याकांड से बाहर कर दिया था. अतीक के छह मुकदमों को विवेचना करने वाले नारायण परिहार का दावा है कि साल 2004 दिसंबर माह में पूर्व विधायक राजू पाल पर अतीक के गुर्गों ने अतीक के भाई के साथ मिलकर जानलेवा हमला किया था. इस मामले की दोबारा जांच होने पर माफिया अशरफ के गुनाहों का लंबा चिट्ठा खुलकर आगे आएगा.
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