Atiq Murder Case: उत्तर प्रदेश स्थित प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड को छः दिन बीत गए. हत्या के आरोपी भी पकड़े गए लेकिन लोगों के जेहन में अभी भी एक सवाल है कि आखिर इस हत्या के पीछे की असली वजह क्या थी? पुलिस की पूछताछ में तीनों आरोपी- अरुण, लवलेश और सैनी ने कई दावें किए हैं. हालांकि उनके दावों पर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा है. इतना ही नहीं जांच एजेंसियां भी अपनी ओर से इस सवाल को लेकर जूझ रही हैं. जांच एजेंसियां इस सवाल का जवाब ढूंढ़ रही हैं कि अतीक और अशरफ की हत्या से किसको फायदा था. एजेंसियों ने अपनी जांच का रुख, अब दुश्मनों से बढ़ाकर अतीक और अशरफ के दोस्तों की ओर भी कर लिया है.


छह दिन पहले अतीक और अशरफ को आरोपियों ने कल्विन अस्पताल के बाहर मौत के घाट उतार दिया था. जिस तरीके से इस घटनाक्रम को अंजाम दिया गया, उसको लेकर यह भी आशंका जताई जा रही है कि यह कोई बड़ी साजिश है. इतना ही नहीं हत्या को अंजाम देने के लिए जिस पिस्टल का इस्तेमाल किया गया उससे यह भी आशंका जताई जा रही है कि अतीक और अशरफ की हत्या की सुपारी दी गई होगी. ऐसे में अब इस सवाल का जवाब जानना जरूरी हो गया है कि अतीक और अशरफ की हत्या के पीछे की क्या वजह थी? सवाल यह भी है कि वह कौन लोग थे जिनको अतीक और अशरफ के जिन्दा रहने के दिक्कत हो सकती थी.


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बिल्डर, अधिकारी और सफेदपोश...?
समझा जाता है कि ऐसे लोगों में कुछ बिल्डर, अधिकारी या सफेदपोश शामिल हो सकते हैं जिनके खिलाफ अतीक और अशरफ के जाने के आसार थे. दीगर है कि अतीक और अशरफ के रिश्ते कई ऐसे बिल्डरों से थे जो इन माफियाओं की अवैध मनी को अपनी परियोजनाओं में लगाते थे. इसके बदले अतीक इन बिल्डर्स को संरक्षण देता था. इन बिल्डरों की लिस्ट प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक है.अतीक की 50-100 करोड़ तक की रकम कई प्रोजेक्ट्स में लगी हुई है. ऐसे में यह आसार जताए जा रहे हैं कि करोड़ों की रकम हड़पने के लिए यह हत्या कराई गई हो.


इसके अलावा अतीक के रिश्ते कई सफेदपोशों से भी थे. यह बात किसी से छिपी भी नहीं है. अतीक जेल में भी क्यों ना रहा हो, इन सफेदपोशों से उसकी मुलाकातें चर्चा का विषय बनी रहती थीं. हालांकि उमेश पाल हत्याकांड मामले में अतीक के खानदान के फंसने के बाद सफेदपोशों ने इससे दूरी बनानी शुरू कर दी. 


इसके साथ ही जांच एजेंसियों के शक के दायरे  में वो अधिकारी भी है, जिसका नाम अभी तक किसी को नहीं पता. अशरफ ने बरेली जेल से प्रयागराज आते हुए दावा किया था कि एक अधिकारी ने उसे जान से मारने की धमकी दी थी.