Umesh Pal Murder Case: अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ पुलिस से बचने के लिए आईफोन (iPhone) के खास फीचर फेसटाइम (FaceTime) के जरिए एक दूसरे से संपर्क करते थे. एसटीएफ सूत्रों ने बताया कि अशरफ का साला सद्दाम जब बरेली जेल में उससे मिलने आता था तब फेसटाइम के माध्यम से साबरमती जेल में बंद अतीक से बातचीत कराता था. एसटीएफ सूत्रों का ये भी कहना है कि जब उमेश पाल की हत्या हुई, उसके एक घंटे पहले तक अतीक ने फेसटाइम पर शूटरों से बात की थी. 


अतीक अहमद और उसके गैंग पर एसटीएफ लगातार नजर बनाए हुए थी. अतीक अहमद अशरफ और उसके गुर्गों के बीच अक्सर जमीनों की खरीद-फरोख्त और मुकदमों की पैरवी को लेकर ही बातचीत होती थी. एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि अशरफ अपने लोगों की जमीनों पर उमेश पाल के हस्तक्षेप से भड़का हुआ था और अक्सर अतीक से इस बारे में बात करता था. 


हालांकि, अतीक उसे हर बार जल्द सब ठीक करने की बात कह कर शांत करा देता था. एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक लगभग तीन महीने से अतीक और अशरफ ने फेसटाइम के जरिए एक-दूसरे से संपर्क शुरू कर दिया. शायद यही वजह थी कि एसटीएफ उमेश पाल की हत्या की साजिश के बारे में पता नहीं लगा सकी.


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पुलिस के प्लान का था पता
माफिया अतीक अहमद की प्रयागराज पुलिस से लेकर एसटीएफ तक काफी गहरी पैठ थी. पुलिस या एसटीएफ के आला अधिकारी अतीक या उसके परिवार वालों के खिलाफ कोई भी ऑपरेशन प्लान करते तो उसे पहले ही खबर लग जाती थी. इसके बाद अतीक अहमद अपना गेम खेलता था. अतीक के खिलाफ मुख्तार अंसारी से ज्यादा मुकदमे थे फिर भी कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सका. 


वह जेल में बैठे-बैठे ही अपनी सत्ता चलाता रहा. पुलिस और एसटीएफ में सेटिंग के चलते ही अतीक ने न सिर्फ अपने परिवार वालों को बचाए रखा बल्कि उनके खिलाफ मुख्तार अंसारी गैंग की तरह सख्त कार्रवाई भी नहीं होने दी. जब-जब पुलिस का दबाव बढ़ता था, अतीक धीरे-धीरे अपने भाई अशरफ, बेटे उमर और दूसरे बेटे अली को कोर्ट में सरेंडर करा कर जेल भिजवाता रहा.