गाजियाबाद: एटलस साइकिल की यूनिट बंद होने से एक हजार परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट
एटलस साइकिल का नाम कौन नहीं जानता, शायद ही कोई ऐसा हो जिसने बचपन में इसकी सवारी न की हो। लेेकिन लॉकडाउन के दौर में इस साइकिल को बनाने वाली फैक्ट्री बंदी की कगार पर है। फैक्ट्री प्रबंधन ने इसे आगे चलाने में असमर्थता जताई है
गाजियाबाद (बलराम पांडे). देश में कोरोना महामारी के चलते ढाई महीने से ज्यादा चले लॉकडाउन में रियायतों का सिलसिला शुरू तो हो गया है लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. कई बड़ी फैक्ट्रियों की हालत खस्ता हो चुकी है. सबसे बड़ी बानगी उस वक्त सामने आई जब 1989 में स्थापित गाजियाबाद में एटलस कंपनी की यूनिट को बंद करने का नोटिस चस्पा हो गया, जिसकी वजह आर्थिक संकट बताया गया. इस यूनिट में प्रति माह दो लाख साइकिल बनती थी और करीब एक हजार परिवार का पेट पलता था. लेकिन इस यूनिट के बंद होने से न केवल हजारों लोगों पर रोजी-रोटी का संकट छायेगा बल्कि अगर ऐसे ही बड़ी बड़ी कंपनियों के यूनिट बंद होने लगीं तो देश के विकास का पहिया भी धीमा पड़ जायेगा.
कंपनी के बाहर लगाया गया नोटिस
गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एटलस साइकिल की कंपनी के बाहर नोटिस चस्पा कर कर्मचारियों को सूचित किया गया था कि कंपनी अर्थिक संकट से जूझ रही है. इसलिए अब वो कच्चा माल खरीदने में असमर्थ है, लिहाजा सभी कर्मचारी बैठकी पर जाएं यानी ले आउट पर रहें. ऐसे में लगभग एक हजार कामगारों की रोजी रोटी का संकट छा गया है. वहीं एबीपी न्यूज़ ने कंपनी के बाहर खड़ी एटलस साइकिल को देखते मौजूद कर्मचारियों से भी बात की तो उनका कहना है कि कंपनी ने न उनसे बात की और न ही उनको इतना बड़ा कदम उठाने से पहले कोई जानकारी दी.
दूसरी यूनिट में लगा दिया पैसा
हालांकि इस पूरे मामले में हमने एटलस साइकिल लिमिटेड इम्प्लाइज यूनियन के महासचिव महेश सिंह से बात की तो उनका कहना है कि कंपनी झूठ बोल रही है और कोई आर्थिक संकट नहीं है. लॉकडाउन से पहले औसतन महीने में 20 हजार साइकिल बेची गई हैं और लगातार कंपनी काम कर रही थी. लेकिन कंपनी दूसरी यूनिट के हिसाब किताब में इस यूनिट का पैसा खर्च कर दिया गया और अब कह रही है कि आर्थिक संकट है. फिलहाल कर्मचारियों का कहना है कि सरकार प्रशासन हस्तक्षेप कर कर्मचारियों को कंपनी के अंदर भेजे और कंपनी को चलवाये ताकि उनकी रोजी रोटी बची रहे. वहीं कंपनी ने कर्मचारियों को दो राहे पर खड़ा कर रखा है, क्योंकि हर कर्मचारी को हाजिरी लगानी होगी अगर नहीं लगाई गई तो उसे कंपनी से निकाला हुआ माना जायेगा.
मायावती भी हुईं फिक्रमंद इस मामले में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चिंता जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुये लिखा कि लॉकडाउन के चलते बंद पड़े उद्योगों के लिये आर्थिक पैकेज की बात की जा रही है, जबकि यूपी के गाजियाबाद में एटलस फैक्ट्री के बंद होने की खबर चिंताजनक है. बसपा सुप्रीमो ने सरकार से इस पर ध्यान देने को कहा है.