Atul Subhash Suicide Case: बेंगलुरु का चर्चित इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस जितना हैरान कर देने वाला है, उस केस के दो आरोपियों की गिरफ्तारी उससे कम फिल्मी नहीं है. नामजद आरोपी निशा और अनुराग सिंघानिया पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रयागराज के आउटर इलाके के एक होटल में छिपे हुए थे, लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने यहां डॉक्टर और नर्स बनकर आरोपियों की रेकी की. आरोपियों के होटल में पूरी रात रुकी और तीसरे दिन उन्हें यहीं से गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई.
आरोपी और पुलिस दोनों ही इतने फिल्मी अंदाज में यहां रहे और एक दूसरे से मिले कि होटल वालों को इस हकीकत की भनक तक नहीं लगी. उन्हें इस बारे में जानकारी आज प्रयागराज पुलिस के पहुंचने पर हुई. सब कुछ इतना गुपचुप तरीके से हुआ कि प्रयागराज पुलिस को इस होटल से गिरफ्तारी होने के बारे में 48 घंटे बाद ही पता चल सका. बहरहाल निशा और अनुराग सिंघानिया जिस होटल में रुके थे. बेंगलुरु पुलिस जहां डॉक्टर और नर्स बनकर उनका पीछा करते हुए पहुंची और जहां से दोनों की गिरफ्तारी हुई, ABP News ने उसे न सिर्फ ढूंढ निकाला है, बल्कि ग्राउंड जीरो पर सबसे पहले पहुंचकर सारे डॉक्युमेंट्स हासिल कर वहां से चौंकाने वाली पड़ताल भी कर ली है और सारे सस्पेंस से पर्दा भी हटा दिया है.
ABP News की Exclusive पड़ताल में यह सामने आया है कि जौनपुर से फरार होने के बाद अतुल सुभाष की सास निशा सिंघानिया और साला अनुराग सिंघानिया प्रयागराज पहुंचे. प्रयागराज में दोनों ने 11 दिसंबर का पूरा दिन वकीलों के यहां बिताया और यहां अग्रिम जमानत की अर्जी तैयार कराई. इस बीच अनुराग ने जौनपुर के रहने वाले अपने एक परिचित सुमित सिंह को प्रयागराज के झूंसी इलाके के होटल रामेश्वरम इन होटल में एक कमरा बुक कराया. सुमित ने बताया कि वह और उसके साथी अनुराग यहां रुकेंगे. 11 दिसंबर को रात करीब 1:15 बजे अनुराग और उसकी मां निशा सिंघानिया रामेश्वरम इन होटल पहुंचे. अनुराग ने बताया कि सुमित किसी वजह से नहीं आ सका है और उसकी जगह मां निशा सिंघानिया रहेंगी. शातिर मां बेटे ने पहले ही सुमित के जरिए उसका और अनुराग का नाम रजिस्टर में दर्ज कराया था. होटल के रजिस्टर में निशा सिंघानिया का नाम कहीं दर्ज नहीं था और ना ही उनकी कोई आईडी जमा थी.
होटल ने निशा और अनुराग सिंघानिया को पहली मंजिल का 111 नंबर कमरा दिया था. तीन दिनों में निशा सिर्फ एक बार बाहर निकली थी, जबकि अनुराग भी बहुत कम कमरे से बाहर आता था. दोनों खाना भी कमरे में ही मंगाते थे. यह होटल शहर से दूर आउटर इलाके में झूंसी के त्रिवेणीपुरम से बंधवा ताहिरपुर जाने वाले रास्ते पर बनाया गया है. इस बीच बेंगलुरु पुलिस मां बेटे को जौनपुर में तलाशते हुए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के सहारे प्रयागराज आ पहुंची. पुलिस ने मोबाइल फोन के जरिए लोकेशन को ट्रेस कर लिया, लेकिन सीधे छापेमारी करने के बजाय यहां कमरा ले लिया.
बेंगलुरु पुलिस की दो सदस्यीय टीम यहां 13 दिसंबर को रात करीब सवा दो बजे पहुंची. टीम में मौजूद मदर शिवप्पा ने खुद को डॉक्टर और फीमेल स्टाफ विनीथा ए को नर्स बताया. इन्होंने होटल में बताया कि उनकी ड्यूटी प्रयागराज महाकुंभ में लगी हुई है. बेंगलुरु पुलिस की टीम ने इस होटल में ग्राउंड फ्लोर पर दो कमरे लिए. कमरा नंबर 101 में डॉक्टर बने मदर शिवप्पा रुके, जबकि 108 नंबर कमरे में खुद को नर्स बताने वाली विनीथा ए रुकी. टीम ने एंट्री करते वक्त चुपचाप रजिस्टर को भी चेक किया. टीम के दोनों सदस्यों ने अपना पैन कार्ड पहचान के तौर पर जमा किया. दोनों ने होटल के रजिस्टर में दर्ज किया कि वह वाराणसी से आए हुए हैं. होटल के रजिस्टर में जिस जगह इन दोनों की एंट्री हुई है, वहां कुछ ओवरराइटिंग भी है. महिला पुलिसकर्मी विनीथा ने रजिस्टर में एंट्री की थी और उनके नाम के साथ एक अन्य लिखा गया था.
टीम ने गुपचुप तरीके से पड़ताल की
बहरहाल टीम ने रात दो बजे से सुबह करीब नौ बजे तक गुपचुप तरीके से पड़ताल की. बेंगलुरु पुलिस इसके बाद होटल के उस कमरा नंबर 111 में पहुंच गई, जिसमें निशा और उनका बेटा अनुराग सिंघानिया रुका हुआ था. पुलिस टीम ने इनसे लंबी पूछताछ की और फिर इन्हें गिरफ्तार किए जाने की बात बताई. पुलिस टीम ने आरोपी मां बेटे को उनके कमरे में ही अपने साथ नाश्ता कराया. होटल के जरिए वाराणसी के लिए टैक्सी बुक की. पुलिस और आरोपी 14 दिसंबर को सुबह 10:45 पर एक ही टैक्सी पर सवार होकर वाराणसी गए. वाराणसी से फ्लाइट के जरिए सभी बेंगलुरू पहुंचे और उन्हें वहां कोर्ट में पेश किया गया. इस बीच दूसरी टीम ने हरियाणा के गुरुग्राम से मुख्य आरोपी निकिता को भी गिरफ्तार कर लिया था.
बहरहाल टीम ने रात दो बजे से सुबह करीब नौ बजे तक गुपचुप तरीके से पड़ताल की. बेंगलुरु पुलिस इसके बाद होटल के उस कमरा नंबर 111 में पहुंच गई, जिसमें निशा और उनका बेटा अनुराग सिंघानिया रुका हुआ था. पुलिस टीम ने इनसे लंबी पूछताछ की और फिर इन्हें गिरफ्तार किए जाने की बात बताई. पुलिस टीम ने आरोपी मां बेटे को उनके कमरे में ही अपने साथ नाश्ता कराया. होटल के जरिए वाराणसी के लिए टैक्सी बुक की. पुलिस और आरोपी 14 दिसंबर को सुबह 10:45 पर एक ही टैक्सी पर सवार होकर वाराणसी गए. वाराणसी से फ्लाइट के जरिए सभी बेंगलुरू पहुंचे और उन्हें वहां कोर्ट में पेश किया गया. इस बीच दूसरी टीम ने हरियाणा के गुरुग्राम से मुख्य आरोपी निकिता को भी गिरफ्तार कर लिया था.
होटल रामेश्वरम इन के मैनेजर मनीष त्रिपाठी के मुताबिक उन्हें और होटल के दूसरे स्टाफ को आज दोपहर तक ना तो हाई प्रोफाइल केस के आरोपियों के अपने यहां रुकने की जानकारी थी और ना ही डॉक्टर और नर्स बने बेंगलुरु पुलिस की टीम की हकीकत पता थी. आज दोपहर इस होटल में प्रयागराज पुलिस की एक टीम पहुंची और उसने पूछताछ की तब होटल वालों को इस हाई वोल्टेज ड्रामे के बारे में पता चल सका. होटल के मैनेजर के मुताबिक बेंगलुरु पुलिस ने ना तो यह शक होने दिया कि वह डॉक्टर और नर्स नहीं बल्कि पुलिस के लोग हैं और ना ही आरोपियों को गिरफ्तार कर अपने साथ ले जाते वक्त कुछ भी जाहिर होने दिया. पुलिस आरोपियों को अपने साथ बेहद सामान्य तरीके से बातचीत करते हुए ऐसे ले गई, मानो वह सभी पुराने परिचित हों.
गिरफ्तारी से बचने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश की
आरोपी निशा सिंघानिया और उनके साथ कमरे में रुके बेटे अनुराग ने इस होटल में तीन दिन का किराया चुकता किया था, जबकि डॉक्टर और नर्स बनी बेंगलुरु पुलिस की टीम ने एक दिन का. होटल के स्टाफ के मुताबिक पानी का कुछ बिल बकाया भी रह गया और उसका पेमेंट नहीं हो सका था. निशा और अनुराग सिंघानिया होटल से बाहर सिर्फ 12 दिसंबर को निकले थे. वह यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम याचिका दाखिल करने वाले वकीलों से मिले थे और जरूरी औपचारिकताएं पूरी की थी. इस दौरान उनसे होटल में किसी ने मुलाकात भी नहीं की थी. इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में नामजद चारों आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की हुई थी. हालांकि इनमें से तीन की गिरफ्तारी होने के बाद अब उनकी यह याचिकाएं औचित्यहीन हो जाएंगी, जबकि फरार चाचा सुभाष की अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई हो सकेगी.
आरोपी निशा सिंघानिया और उनके साथ कमरे में रुके बेटे अनुराग ने इस होटल में तीन दिन का किराया चुकता किया था, जबकि डॉक्टर और नर्स बनी बेंगलुरु पुलिस की टीम ने एक दिन का. होटल के स्टाफ के मुताबिक पानी का कुछ बिल बकाया भी रह गया और उसका पेमेंट नहीं हो सका था. निशा और अनुराग सिंघानिया होटल से बाहर सिर्फ 12 दिसंबर को निकले थे. वह यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम याचिका दाखिल करने वाले वकीलों से मिले थे और जरूरी औपचारिकताएं पूरी की थी. इस दौरान उनसे होटल में किसी ने मुलाकात भी नहीं की थी. इंजीनियर अतुल सुभाष सुसाइड केस में नामजद चारों आरोपियों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की हुई थी. हालांकि इनमें से तीन की गिरफ्तारी होने के बाद अब उनकी यह याचिकाएं औचित्यहीन हो जाएंगी, जबकि फरार चाचा सुभाष की अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई हो सकेगी.
कहा जा सकता है कि अतुल सुभाष सुसाइड केस के दो आरोपियों ने पुलिस की गिरफ्तारी से बचने के लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश की थी. वहां सिर्फ एक आईडी जमा की थी. एक ऐसे शख्स के नाम की आईडी जमा की थी जिस कमरे में रुकना ही नहीं था. दोनों होटल से बाहर भी नहीं निकलते थे, लेकिन बेंगलुरु पुलिस उनसे भी ज्यादा हाईटेक निकली और उसने फिल्मी अंदाज में डॉक्टर व नर्स बनकर आरोपी मां बेटे को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी इतने नाटकीय अंदाज में की गई कि जिस होटल में सारा ड्रामा रचा गया, वहां के लोगों को भी आज प्रयागराज पुलिस के पहुंचने के बाद ही हकीकत का पता चल सका.
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