Atul Subhash Suicide: पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी करने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंजीनियर अतुल सुभाष किस मानसिक हालत से गुजरे होंगे, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पत्नी निकिता सिंघानिया ने उनके खिलाफ एक दो नहीं बल्कि पांच-पांच मुकदमे अकेले इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल कर रखे थे. पति की मौत के बाद अग्रिम जमानत के केस को भी अगर जोड़ दिया जाए तो निकिता ने पिछले करीब दो सालों में हाईकोर्ट में छह मुकदमे दाखिल किए हैं. इनमें से कुछ मुकदमे अभी कोर्ट में पेंडिंग है, जबकि कुछ निस्तारित किए जा चुके हैं.


निकिता सिंघानिया द्वारा दाखिल किए गए एक मुकदमे में आज भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. हालांकि पति अतुल सुभाष की मौत हो जाने की वजह से अब यह मुकदमा औचित्यहीन हो गया है. निकिता सिंघानिया के मुकदमों में वह केस भी शामिल है, जिसमें हाईकोर्ट ने अतुल सुभाष के खिलाफ दर्ज एफआईआर में ट्रायल कोर्ट को साल भर में सुनवाई पूरा कर फैसला सुनाने को कहा था. करीब ग्यारह महीने बीतने के बाद अब इसमें फैसले की घड़ी बेहद नजदीक थी और अतुल को सजा होना लगभग तय था.


एक मुकदमे में कल होनी थी सुनवाई
निकिता सिंघानिया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सबसे पहला मुकदमा 28 सितंबर 2022 को दाखिल किया था. इसमें पति अतुल सुभाष और ससुराल वालों के खिलाफ दाखिल किए गए मुकदमे से जुड़े जौनपुर की जिला अदालत के 2 जुलाई 2022 के फैसले को चुनौती दी गई थी. यह मुकदमा अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है. हाईकोर्ट में इस मामले में कल यानी 17 दिसंबर को सुनवाई होनी है. सुनवाई कोर्ट नंबर 77 में होनी है. 


निकिता सिंघानिया ने दूसरा मुकदमा 28 जुलाई 2023 को दाखिल किया था. यह मुकदमा अंडर सेक्शन 227 के तहत दाखिल किया गया था. हाईकोर्ट ने 24 अगस्त 2023 को इस मुकदमे को निस्तारित कर दिया था. इसमें अर्जी में कुछ संशोधन किए जाने की मांग की गई थी. इस मुकदमे को जस्टिस उमेश चंद शर्मा की बेंच ने निस्तारित किया था.


निकिता सिंघानिया ने साल 2023 में एक अन्य मुकदमा 8 नवंबर को दाखिल किया था. निकिता सिंघानिया ने इस मुकदमे में साल 2022 में जौनपुर कोतवाली में अपनी तरफ से पति अतुल सुभाष और ससुराल के अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज कराए गए क्रिमिनल केस का ट्रायल जल्द से जल्द पूरा कराए जाने का आदेश जारी किए जाने की गुहार लगाई गई थी. जस्टिस सुभाष चंद्र शर्मा की सिंगल बेंच ने इस याचिका पर इस साल 12 जनवरी को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने निकिता की इस याचिका को निस्तारित करते हुए जौनपुर की ट्रायल कोर्ट को एक साल के अंदर निकिता के केस की सुनवाई पूरा कर फैसला सुनाने को कहा था. 


फैसला आने से पहले की खुदकुशी
हाईकोर्ट के इस फैसले के तहत इंजीनियर अतुल सुभाष ने जब खुदकुशी की तब जौनपुर की कोर्ट का फैसला आने में सिर्फ महीने भर का वक्त बचा था. आशंका है कि ट्रायल कोर्ट के फैसले की घड़ी नजदीक आने की वजह से इंजीनियर अतुल सुभाष डिप्रेशन में रहे होंगे और उन्होंने मौत को गले लगा लिया. निकिता सिंघानिया ने एक अन्य मुकदमा आदेश का पालन करने के लिए दाखिल किया था. जस्टिस विवेक वर्मा की सिंगल बेंच ने इस मुकदमे पर इसी साल 2 अप्रैल को आदेश जारी किया और एक दिसंबर 2022 के फैसले पर अमल किए जाने को कहा.


निकिता ने पांचवा मुकदमा इसी साल 5 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल  किया था. निकिता ने इस मुकदमे के जरिए भरण पोषण के लिए पति अतुल सुभाष से गुजारा भत्ता बढ़ाए जाने की अपील की थी. इस मामले में सुनवाई आज जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की सिंगल बेंच में होनी है. निकिता ने इस मुकदमे के जरिए जौनपुर जिला कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. 


निकिता ने पति अतुल सुभाष की खुदकुशी के बाद उसके परिवार वालों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में गिरफ्तारी से बचने के लिए 13 दिसंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की थी. हालांकि अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल होने से पहले ही कर्नाटक पुलिस ने निकिता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. ऐसे में निकिता की यह याचिका अब औचित्यहीन हो जाएगी. कहा जा सकता है कि निकिता सिंघानिया ने पति अतुल सुभाष और ससुराल के दूसरे लोगों को परेशान करने के लिए कानूनी हथकंडे अपने का कोई मौका नहीं छोड़ा था.  


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