लखनऊ, संतोष कुमार शर्मा। उन्नाव कांड ने यूपी पुलिस की लापरवाही में ऐसा तमाशा किया कि आज उत्तर प्रदेश सरकार बैकफुट पर है और उन्नाव कांड की आड़ में सूबे की कानून व्यवस्था विरोधियों के निशाने पर। लेकिन इस फजीहत के बावजूद यूपी पुलिस ने कोई सबक लिया हो ऐसा नहीं है।


ताजा मामला उत्तर प्रदेश और देश की होनहार खिलाड़ी की आत्महत्या का है। जिसमें पीड़िता के पिता ने खिलाड़ी बेटी को ब्लैकमेल करने वाले युवक पर एफआईआर दर्ज कराई तो लखनऊ पुलिस ने आरोपी युवक की तरफ से खिलाड़ी बेटी के पिता और उसके परिवार पर ही उल्टे मुकदमा लिख लिया। महीनों बीत जाने के बाद भी दोनों मामलों में पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। खिलाड़ी बेटी का पिता न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है।


मेडल और पुरस्कार होनहार बेटी की उपलब्धियों की गवाही देता है जो आने वाले ओलंपिक में महाभारत कालीन खेल आत्या-पात्या में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रही थी और 6 महीने पहले तक वह प्रदेश की आत्या-पात्या टीम की कप्तान भी थी। उत्तर प्रदेश और देश का आत्या-पात्या खेल में मान बढ़ाने वाली बेटी के मेडल, कप और पुरस्कार परिवार के लोगों ने उस कमरे में सजा रखे हैं जिसमें शिवानी ने बीती 11 मार्च 2019 को आत्महत्या की थी।



पिता अरुण शर्मा ने बेटी की आत्महत्या को पहले नासमझी में उठाया कदम समझा लेकिन घटना के 2 दिन बाद जब शिवानी के दोस्तों से पूछताछ की गई और उसका मोबाइल खंगाला गया तो तस्वीर साफ होती चली गई। परिवार का आरोप है कि बेटी ने पीजीआई इलाके के रहने वाले युवक आकाश जायसवाल की ब्लैकमेलिंग से तंग आकर आत्महत्या की है। आकाश जायसवाल उनकी बेटी को किसी बात को लेकर ब्लैकमेल कर रहा था।


आत्महत्या से पहले शिवानी के मोबाइल पर आया आखरी मैसेज भी आकाश का ही था। परिवार ने आकाश जयसवाल पर 24 मार्च को कैसरबाग कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया। बेटी के मौत के पीछे सच्चाई जानने के लिए परिवार ने कैसरबाग कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया तो आरोपी आकाश जायसवाल ने भी एफआईआर दर्ज होने के 3 महीने बाद जून के महीने में शिवानी के परिवार पर ही उल्टे मुकदमा लिखा दिया।



खिलाड़ी बेटी के पिता की तहरीर पर दर्ज केस में पुलिस ने विवेचना शुरू की तो कानूनी दांव पेच चलते हुए आरोपी आकाश जायसवाल ने शिवानी के पिता भाई और मां पर शिवानी को प्रताड़ित करने और मार डालने का मुकदमा लिखा दिया। एक तरफ बेटी की मौत का गम तो दूसरी ओर कानूनी दांव पेच में अब परिवार ही अपनी बेटी को प्रताड़ित कर मार डालने का आरोपी बन गया।


इस मामले पर एसपी पश्चिमी विकास चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि दोनों ही मामलों की विवेचना कैसरबाग पुलिस कर रही है। लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि पिता की तहरीर पर दर्ज मुकदमे की विवेचना तय वक्त के बाद पूरी नहीं हो पाई है। जबकि विवेचना अधिकारी महिला आयोग के सामने लिखित मान चुका है कि आरोपी की प्रताड़ना से ही खिलाड़ी बेटी ने आत्महत्या की थी। एक तरफ महिला आयोग के सामने पुलिस प्रताड़ना को सच मानती तो दूसरी ओर कानूनी दांव पेच में अब खिलाड़ी बेटी का परिवार अपनी ही बेटी के हत्या का आरोपी बनकर घूम रहा है।