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Blind Brothers: मुसीबतों के बाद भी नहीं टूटा हौसला, लोगों के लिए मिसाल बना परिवार...मिस ना करें ये खबर
Auraiya News: औरैया (Auraiya) में रहने वाला एक परिवार (Family) ऐसा भी है जो लोगों के लिए मिसाल बन गया है. इस परिवार पर जितना गर्व किया जाए वो कम है.
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Auraiya Blind Brothers and Sister: औरैया (Auraiya) जिले के बिधूना तहसील के भगवान पूरा गांव में एक ऐसा परिवार (Family) है जो लोगों के लिए मिसाल बन गया है. एक परिवार में तीन बच्चे ब्लाइंड (Blind) होने के बावजूद ये परिवार दूसरों के लिए प्रेरणा बनकर सामने आया है. जहां लोग कहते हैं कि मुझे कोई काम नहीं मिल रहा है, तो इस परिवार से सबक लीजिए. परिवार में तीन बच्चे ब्लाइंड होने के बाद भी अपने पैरों पर खड़े होने के लिए अपनी दुकान (Shop) चलाते हैं. बाबा-दादी और माता-पिता को ये तीनों बच्चे आदर्श मानते हैं. ये परिवार ऊदल सिंह (Udal Singh) का है. इस परिवार पर जितना गर्व किया जाए वो कम है.
चलाते हैं छोटी सी दुकान
ऊदल सिंह के बड़े बेटे कुमार गौरव अपने छोटे भाई सौरभ के साथ एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते हैं. गौरव और सौरभ से जो भी चीज मांगी जाती है वो वही लेकर आते हैं. ये दोनों भाई पैसे भी अच्छी तरह से पहचान लेते हैं. गौरव और सौरभ की दुकान में कोल्ड ड्रिंक से लेकर साबुन, नमकीन, बिस्किट एवं अन्य रोजमर्रा की चीजें मिलती हैं. दोनो भाई दुकान को बखूबी संभाल रहे हैं लेकिन बहन भी मदद करती है. ये लोग जो पैसे लेने होते हैं वही पैसे लेते हैं. 100, 500, 50 और अन्य नोटों को भली प्रकार से पहचान कर सामान के पैसे काटकर वापस भी कर देते हैं.
दोनों भाइयों ने की है पढ़ाई
गौरव का सपना आईएएस बनने का है. उन्होंने लखनऊ से एमए तक की पढ़ाई कर रखी है. सौरभ भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता है. सौरभ ने भी बीए की पढ़ाई कर रखी है. सौरभ ने दिल्ली से बीए किया है. सौरभ ब्लाइंड होने के बावजूद क्रिकेट भी खेल लेता है. बॉल की आवाज से पहचान लेता है कि गेंद कहां पर आई है. दोनों भाई लैपटॉप और मोबाइल भी चला लेते हैं.
परिवार ने नहीं छोड़ी कोई कसर
परिवार में ऊदल सिंह एव उनके माता-पिता पत्नी और चार बच्चे हैं. ऊदल सिंह के तीन बच्चे जन्म से ब्लाइंड हैं. ऊदल सिंह के पिता और ऊदल सिंह ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. बड़े बेटे कुमार गौरव को एमए की शिक्षा लखनऊ से दिलाई उसके बाद छोटे बेटे सौरभ को बीए दिल्ली से कराया. परिवार ने बेटी को भी पढ़ाया है.
सपना है कि नौकरी मिल जाए
ऊदल सिंह के पिता ने बताया कि उन्होंने अपनी सारी कमाई बच्चों को पढ़ाने में लगा दी. बाच्चों को देहरादून, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर सभी जगह पढ़ाया है. अब एक ही सपना है, इन्हें नौकरी मिल जाए. उन्होंने कहा कि हमने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी है. साथ ही ये भी सिखाया है कि कभी भी झूठ मत बोलना. मां थोड़ा भावुक हो गई. उन्होंने बताया कि चार बच्चे हैं. जिसमे दो बेटे और दो बेटियां हैं. इसमें से दो बेटे और एक बेटी जन्म से ही ब्लाइंड हैं, फिर भी हम लोग बहुत खुश हैं.
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