UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) सरकार में स्वास्थ सेवाओं को बेहतर सेवाएं देने के लिए लाखों करोड़ों रुपए जिलों में दे रही है. इसके बावजूद भी औरैया (Auraiya) में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं. उनकी कमियां दूर होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. जहां सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी रहती है तो कहीं गांव कस्बों में बने सीएससी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी देखने को मिल रही है. 


डॉक्टरों की कमी होने की वजह से अस्पताल में मरीजों का इलाज कोई और नहीं बल्कि अस्पताल के कर्मचारी, स्टाफ और फार्मासिस्ट कर रहे हैं. जब इस मामले को लेकर उच्चाधिकारियों से बात की, तो उन्होंने साफ तौर से एक ही जवाब आया कि डॉक्टरों की कमी है. जिस वजह से इन अस्पतालों में फार्मेसिस्ट ही मरीजों को देखते हैं.


स्वास्थ्य व्यवस्था पर खास ध्यान
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक खुद मोबाइल लेकर लाइव फेसबुक चैट पर अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. कमी पाए जाने पर डॉक्टरों की फटकार भी लगा रहे हैं. लेकिन शायद इन सबके बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं में कमियां बरकरार देखने को मिल रही हैं. लेकिन औरैया जिले के सीएससी अस्पताल में डॉक्टर नहीं है लेकिन फिर भी मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यूपी में बीजेपी की सरकार दोबारा बनने के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी शख्त कदम उठाए जा रहे हैं. जिसको लेकर गांव देहात में बनी पीएसी (स्वास्थ्य केंद्र) सीएसी में भी लाखों रुपए दिए जा रहे हैं.


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इस स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं दिखे डॉक्टर
औरैया जिले में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवरपुर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्राम शहाब्दा में डाक्टरों के बिना मौजूदगी में ही अस्पताल को फार्मेसिस्ट चलाते दिख रहे हैं. देवरपुर पीएसी में जब अस्पताल का भी हाल कुछ अलग नहीं था. जहा खुद फार्मासिस्ट मरीजों का इलाज करते दिखे. वहीं मौजूद फार्मेसिस्ट और एक कर्मचारी से बात की तो बताया कि डॉक्टर साहिबा स्वाति यहां ड्यूटी पर नहीं हैं. लेकिन सवाल इस बात का है कि जब ड्यूटी पर नहीं हैं तो अस्पताल में मरीजों को देखने वाला कौन है. मरीजों को यहां पर फार्मेसिस्ट दवाइयां दे रहे हैं और इलाज कर रहे हैं. लेकिन जब सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है तो फिर डॉक्टरों की कमी क्यों दिख रही है.


क्या बोले डिप्टी सीएमओ?
इस मामले को लेकर औरैया जिले के डिप्टी सीएमओ देवनारायण से बात की और इन अस्पतालों में डॉक्टर की मौजूदगी के बारे में पूछा. उनका भी जबाब कुछ हट कर मिला. उन्होंने बताया कि जो डाक्टर की यहां पर तैनाती थी, उनका पीजी में एडमिशन हो गया है. अगर कोई भी मरीज यहां आता है तो यहां का अन्य स्टाफ मैनेज कर लेते हैं क्योंकि यहां पर डॉक्टरों की कमी है. शासन में लिख कर भेजा जा चुका हूं और इमरजेंसी केस को जिला अस्पताल में भर्ती कराया जाता है. 


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