Auraiya land Slide News: उत्तर प्रदेश के औरैया में भी जोशीमठ (Joshimath) की तरह लोगों के घरों में दरारें आनी शुरू हो गई है. मदार दरवाजे इलाके में बने मकानों में रहस्यमय तरीके से आई दरारों ने औरैया जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है. वहीं, घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है. हालांकि, घरों में आ रही दरार के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
वहीं, इस घटना के बाद इलाके में रह रहे लोगों के लिए भी मुशीबत खड़ी होती नजर आ रही है. इलाके में स्थित घरों और भवनों में लगातार आ रही दरारों से लोगों में डर और दहशत का माहौल है. घरों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि कुछ दिन पहले इन मकानों को खाली कराने के लिए प्रशासन ने नोटिस भी जारी किया था. इसके साथ ही हालात को देखते हुए जिला प्रशासन ने घटना की जांच कानपुर आईआईटी से करवाने का फैसला किया है. प्रशासन का कहना है कि मकानों में आ रही दरारों का पता भू-गर्भ वैज्ञानिकों से जांच के बाद ही चल पाएगा.
जांच टीमों के हाथ है खाली
इस घटना के बाद इलाके के लोगों में दहशत फैल गई है. इलाके में पक्के और नए बने मकानों में अचानक आई दरारों की जब शिकायत जिला प्रशासन से की गई तो खुद जिलाधिकारी ने जांच के लिए तीन अलग-अलग टीमें गठित की. इसमें पीडब्ल्यूडी, जल निगम और नगर पालिका की टीम शामिल थी. तीनों टीमों ने अपनी-अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को दे दी है, लेकिन इन तीनों रिपोर्ट में से किसी में भी मकानों में आ रही दरारों की वजह को स्पष्ट नहीं किया गया है.
कलेक्टर ने कानपुर आईआईटी को लिखा पत्र
मकानों की खराब हालत को देखते हुए जिला प्रशासन ने करीब 7 मकान मालिकों को मकान खाली करने का नोटिस दे दिया है, लेकिन मकानों में दरार आने की घटना नहीं रुकने पर जिला प्रशासन ने मकानो में रहस्यमय तरीके से आ रही दरारों के पीछे की वजह को स्पष्ट करने के लिए कानपुर आईआईटी को पत्र लिखा है. दरअसल, जिला प्रशासन इस की जांच अब भू गर्भ वैज्ञानिकों से कराना चाहता है, ताकि आने वाले समय में किसी और मकानों में दरारें न आए. इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात ये है कि मकानो में आ रही दरारों से इलाके में खतरा बढ़ गया है, क्योंकि कभी भी ये मकान गिर सकते हैं. इस पूरे मामले को लेकर नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी राम कमल आसरे ने बताया कि जिलाधिकारी ने मकानों में आ रही दरारों की जांच के लिए टीमें बनाई थी, लेकिन मकानो में दरार आने का स्पष्ट पता नहीं लगा पाया, जिसके बाद जिलाधिकारी ने अब कानपुर आईआईटी को पत्र लिखा है, ताकि जांच भू-गर्भ वैज्ञानिकों की देखरेख में कराई जा सके.
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