UP News: यूपी (UP) के औरैया (Auraiya) में साल 2021 में बाढ़ से त्राहि-त्राहि मच गई थी. इसके बाद जिला प्रशासन और शासन को यमुना नदी (Yamuna River) के किनारे बसे गांव के लोगों को बचाने के लिए जी जान लगाना पड़ा था. यहां तक की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का मुआयना भी किया था. इस बार एक बार फिर हालात वैसा ही बनने की आशंका नजर आ रही है, क्योंकि जिस तरीके से यमुना का जल स्तर बढ़ रहा है, किनारे बसे गांव के लोगों में डर का माहौल देखने को मिल रहा है.
इस बीच जिला प्रशासन की तरफ से यमुना किनारे बसे गांव में दौरे किए जा रहे हैं उन्हें हर सुविधा देने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. यहां ग्रामीणों का कहना है कि आश्वासन तो मिल रहा है, लेकिन सुविधाएं काफी दूर दिख रही हैं. दूसरी तरफ लगातार हो रही बारिश से यमुना नदी का जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ता नजर आ रहा है. हालात ये हैं कि यमुना किनारे बस एक गांव के लोगों में डर का माहौल देखने को मिल रहा है.
अभी नहीं है गांव छोड़ने जैसी स्थिति
लोगों का कहना है कि अधिकारी तो दौरे कर रहे हैं, लेकिन सुविधाएं कुछ भी नहीं दी जा रही हैं. हालांकि, अभी इतना नहीं बढ़ा है कि बाढ़ जैसी या गांव छोड़ने जैसी बात सामने आ रही हो, आशंका यही है जल स्तर बढ़ेगा तो गांव में पानी आएगा. इससे पहले साल 2021 में बाढ़ से कई गांव डूब गए थे. ऐसे में कई गांव को खाली कराया गया था और लोगों को ऊंचे स्थानों पर रहने के लिए व्यवस्था की गई थी. जिला प्रशासन पिछले साल की आई बाढ़ को देखते हुए अपनी तरफ से सारी तैयारियों को पूरी करने की बात कह रहा है.
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गांव के प्रधान को भी दी गई है जिम्मेदारी
औरैया जिले के आयाना थाना क्षेत्र में लगभग कई गांव ऐसे हैं जो यमुना नदी किनारे बसे हुए हैं. हर साल बाढ़ आने से उन लोगों को गांव खाली करना पड़ता है और किसी ऊंचे स्थान पर रहने के लिए जाना पड़ता है. इस बार भी यमुना का जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ता नजर आ रहा है. लोग गांव में रहकर दिन रात जागकर जल स्तर को देख रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जिले के अधिकारी गांव में निरीक्षण करने आए और गांव वालों को भरोसा भी दिया कि इस बार बाढ़ आने से पहले आप लोगों के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं. गांव के प्रधान को भी इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए देखी जा रही है जमीन
इन सबके बाद भी ग्रामीणों को डर है कि कहीं यह बातें हवा हवाई न हों, क्योंकि जो पिछले साल हुआ वह इस बार न हो और हम लोग बाढ़ आने से पहलेअपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थान पर पहुंच जाएं. इस मामले को लेकर गंभीरता दिखाते हुए जिलाधिकारी रेखा चौहान का कहना है कि पिछली बार जो बाढ़ आई थी, जिसमें आस्था जैसे गांव टापू बन गए थे, उनको देखते हुए इस बार जिला प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए जमीन देख रही है. हालांकि, यह सारी जमीन वन विभाग के तहत आती है, जिसको लेकर एक पत्र विभाग को भी भेजा जा चुका है.
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