Ayodhya News: 10 दिन पहले फैजाबाद कोर्ट को बम से उड़ाने की मिली थी धमकी, जांच के बाद भी खाली हाथ है पुलिस
फैजाबाद (Faizabad) कोर्ट को 10 दिनों पहले बम से उड़ाने की धमकी एक पत्र द्वारा मिली थी. इस मामले में तब से पुलिस (UP Police) जांच में जुटी हुई है. लेकिन अब तक पुलिस खाली हाथ है
UP News: यूपी के संवेदनशील जनपदों में शुमार अयोध्या (Ayodhya) के फैजाबाद (Faizabad) कोर्ट को बम से उड़ा देने की धमकी दी गई है. यह साजिश है या किसी की शरारत, यह अभी साफ नहीं हो सका है. 10 दिन बीतने के बाद भी अभी तक इस मामले में पुलिस (UP Police) किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. 2 जून को जिला जज को यह धमकी भरा पत्र किसने भेजा इसकी भी जानकारी अभी तक अयोध्या पुलिस को नहीं हुई है. पुलिस अब इसे शरारत बता रही है, साथ ही इस पर डिटेल्स इंक्वायरी की बात भी कर रही है.
क्या है मामला?
जून में रजिस्टर्ड डाक से धमकी भरा पत्र मिलने के बाद जिला जज ने एक पत्र के साथ धमकी भरे पत्र को भी अयोध्या एसएसपी शैलेश पांडे को भेज दिया था. पत्र में भेजने वाले का नाम याकूब का पुत्र राशिद लिखा हुआ था, जो दौलतपुर थाना पूराकलंदर का रहने वाला है. सबसे पहले पत्र में भेजने वाले का जो नाम लिखा था, उस राशिद को पकड़ भी लिया गया. कई दिनों की पूछताछ के बाद भी जब उसका कोई रोल नहीं पाया गया तो उसे छोड़ दिया गया.
पत्र मिलने के 6 दिन बाद पुलिस ने 8 जून को इस मामले में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. अब पुलिस जिस डाकघर से रजिस्ट्री हुई है और जिस समय हुई है उसी के इर्द-गिर्द के दायरे में जांच कर रही है. हालांकि 10 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली है. धमकी भरा पत्र भेजने वाले की पहचान सामने ना आने के चलते, अभी तक यह भी नहीं पता चला है कि इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है या फिर महज शरारत. अयोध्या के एसएसपी शैलेश पांडे फिलहाल इसे शरारत बता रहे हैं. कहते हैं कि डिटेल्स इन्क्वारी के बाद सच सामने आ जाएगा.
क्या बोले एसएसपी?
एसएसपी ने बताया कि 2 जून को एक पत्र न्यायालय की तरफ से प्राप्त हुआ था. जिसमें न्यायालय के लिए धमकी लिखी हुई थी. उस पत्र में एक व्यक्ति का नाम और उसका पता भी लिखा हुआ था. इसके बाद पुलिस ने जब जांच और प्रेषक का जो नाम लिखा हुआ था उससे जब पूछताछ की गई. प्रथम दृष्टया उसका इस तरह का कोई रोल नहीं पाया गया. जो तथ्य है उसके आधार पर एक अभियोग पंजीकृत किया गया है और जो पूछताछ हुई है.
उसमें कोई ऐसे तथ्य अभी तक प्रकाश में नहीं आए हैं. प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि शरारतवश प्रेषक के नाम से पत्र भेजा गया था. उसको परेशान करने के लिहाज से यह पत्र भेजा गया. इसकी डिटेल इंक्वायरी की जा रही है. साथ ही साथ न्यायालय में कष्ट और सिक्योरिटी बढ़ा दी गई है. न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था हम लोग पूरी तरह सुनिश्चित करा रहे हैं.
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