अयोध्या के मंदिर मस्जिद विवाद में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है. बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराए जाने के आरोपियों की रिहाई पर सवाल खड़े किए गए हैं. बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपियों को बरी कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई है. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पक्षकार पूर्व हाजी महबूब और सैयद अखलाक अहमद ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. हालांकि 2021 में ही याचिका दाखिल की गई थी लेकिन इसकी चर्चा अब हो रही है.


कल पुनर्विचार याचिका की वैधानिकता पर सुनवाई


सोमवार को पुनर्विचार याचिका की वैधानिकता पर सुनवाई होनी है. अगर पुनर्विचार याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो एक बार फिर बाबरी विध्वंस केस सुर्खियों में आ जाएगा और सरकार समेत जीवित आरोपियों को नोटिस जारी कर दी जाएगी. अदालत में बाकायदा फिर सुनवाई भी होगी. लेकिन याचिका के स्वीकार नहीं होने पर खारिज कर दी जाएगी और वैधानिक अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा. हाईप्रोफाइल मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा समेत कई बड़े नाम हैं.


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बाबरी विध्वंस के आरोपियों की रिहाई का मामला


हालांकि आरोपी बनाए गए लोगों में लगभग आधे अब जीवित नहीं हैं लेकिन जिंदा बचे आरोपियों का वजूद एक बार फिर सुर्खियों में ला देता है. बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार हाजी महबूब ने कहा कि याचिका को 5 से 6 महीने से ऊपर हो गया है. मामले में सुनवाई होनी थी. 18 तारीख को पेशी है. उम्मीद करता हूं कि हमारी अपील मंजूर की जाएगी और केस शुरू हो जाएगा. अदालत का सुनाया गया फैसला मुझे नहीं मालूम था. इसलिए मैं हाईकोर्ट पहुंचा हूं. निचली अदालत ने आरोपियों के पक्ष में फैसला दिया है. अब हाईकोर्ट क्या फैसला देती है, देखा जाएगा. बाबरी विध्वंस केस में 30 से 32 आरोपी हैं.


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