अयोध्या, एबीपी गंगा। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने की साजिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई कर रहे जज एसके यादव का कार्यकाल 9 महीने और बढ़ाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे जज 6 महीने में सुनवाई पूरी करें और अब से 9 महीने के भीतर में अपना फैसला सुनाए। वहीं, यूपी सरकार ने भी कहा कि जज का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि इस केस की सुनवाई कर रहे जज के सेवानिवृत्त होने पर क्या नियम और कानून हैं? साथ ही, यह भी पूछा था कि राज्य सरकार बताए कि जज एसके यादव के कार्यकाल को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इसको लेकर कानूनी प्रावधान क्या हैं? इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वसं मामले की सुनवाई में सबूतों की रिकार्डिंग छह महीने में पूरी कर ली जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 1992 में राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा गिराए जाने से संबंधित मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश से शुक्रवार को कहा कि इस प्रकरण में आज से नौ महीने के भीतर फैसला सुनाया जाए। इस मामले में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और कई अन्य नेता आरोपी हैं। न्यायमूर्ति रोहिंग्टन नरिमन और न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि इस मामले में गवाहों के बयान दर्ज करने का काम छह महीने के भीतर पूरा किया जाए।
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल नौ महीने बढ़ाने के लिए चार सप्ताह के भीतर उचित आदेश पारित करने का भी निर्देश दिया। विशेष न्यायाधीश 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे और उन्होंने एक पत्र में न्यायालय को इससे अवगत कराते हुए लिखा था कि मुकदमे की कार्यवाही पूरी करने के लिए छह महीने का और वक्त लगेगा।
शीर्ष अदालत ने कहा कि विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल सिर्फ इस मुकदमे की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने के उद्देश्य से ही बढ़ाया जा रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पष्ट किया कि विस्तारित कार्यकाल के दौरान विशेष न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ही प्रशासनिक नियंत्रण में रहेंगे। शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल, 2017 को इस मामले में आडवाणी, जोशी, उमा भारती के साथ ही बीजेपी के पूर्व सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतंबरा पर भी आपराधिक साजिश के आरोप बहाल किए थे। इस मामले में आरोपी गरिराज किशोर, विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो चुका है। अत: उनके खिलाफ कार्यवाही खत्म कर दी गयी है।
दरअसल, इस केस की सुनवाई कर रहे सीबीआई जज एसके यादव को 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होना है, इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए छह महीने का और समय मांगा था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह बेहद जरूरी है कि सीबीआई जज एसके यादव मामले की सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाएं।