Ayodhya Circle Rate News: राम मंदिर का रास्ता 2019 में सुप्रीम कोर्ट से साफ होने के बाद अयोध्या की जमीन हीरे का अंडा देने वाली मुर्गी हो गई. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में आए कोर्ट के फैसले के बाद यहां जमीन लेनदेन में वृद्धि देखी गई, लेकिन अयोध्या में सर्किल लेट को लेकर पिछले सात सालों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अयोध्या में सर्किल रेट को लेकर आखिरी बार संशोधन 2017 में हुए था. यह राज्य के उन 54 जिलों में एक है, जहां आखिरी बार संशोधन सात साल पहले हुआ था. 


अयोध्या में सर्किल रेट बढ़ाने को लेकर मांग तेज होने लगी है. सबसे तेज आवाज किसानों की तरफ से उठाया जा रहा है. अयोध्या के एक किसान, जिनका नाम दुर्गा प्रसाद यादव है, उन्होंने सर्किल रेट में बढ़ोतरी की मांग की थी. उन्होंने 5 अक्टूबर, 2021 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का दरवाजा खटखटाया था. उनका कहना है कि जब भी सरकार जमीन पर अधिग्रहण करती है तो किसानों को कम मुआवजा मिलता है. अधिग्रहण का रेट सर्किल रेट पर आधारित है. यूपी में सरकार शहरी इलाकों में सर्किल रेट का दोगुना और ग्रामीण इलाकों में सर्किल रेट का चार गुना पैसा देती है.


सर्किल रेट में बढ़ोतरी की मांग की थी


किसान दुर्गा प्रसाद यादव की याचिका का जवाब देते हुए यूपी सरकार ने 18 मई, 2022 को कोर्ट में प्रस्तुत एक हलफनामे में कहा था कि अयोध्या में सर्किल रेट के संशोधन पर विचार करने के लिए अधिकारियों की तरफ से 2018, 2019, 2020 और 2021 में रिसर्च किया गया था, लेकिन इस दौरान जमीन की कीमत बाजार दरें साल 2017 के बराबर रहीं, इसलिए सर्किल रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया.


2017 से नहीं हुआ सर्किल रेट में संशोधन


एक अधिकारी रूपेश कुमार ने बताया कि अयोध्या में 2022 और 2023 में सर्किल दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सरकार ने मंजूरी देने से इंकार कर दिया था. उन्होंने बताया कि राज्य के 54 जिलों में 2017 सर्किल दर में कोई संशोधन नहीं की गई हैं. रूपेश के मुताबिक 2023 में 21 जिलों में सर्किल रेट संशोधित किए गए थे. उनके मुताबिक अयोध्या से सटे जिलों में भी संशोधित किया गया था. उन्होंने बताया कि बाराबंकी में इसे 25 जनवरी, 2024 को संशोधित किया गया था. 


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