अयोध्या: 1992 के बाद से अयोध्या में 6 दिसंबर को मनाया जाने वाला शौर्य दिवस और यौमे गम अब बीते कल की बात हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए जमीन मिल चुकी है तो हिंदू पक्ष को राम जन्मभूमि, लिहाजा अब न रहा विवाद और ना ही इस तरह के रस्मी कार्यक्रमों का औचित्य. इस बार अयोध्या में ना तो शौर्य दिवस मनाया जा रहा है और ना ही यौमे गम.


ना शौर्य दिवस ना ही यौमे गम


आज 6 दिसंबर है लेकिन अयोध्या में इसकी आहट महज सुरक्षा जवानों की मुस्तैदी और बढ़ी संख्या को देखकर ही होता है. हर वर्ष की तरह ना तो कहीं शौर्य दिवस मनाया जा रहा है, और न ही कहीं यौमे गम, इसीलिए अयोध्या में ना तो मीडिया का जमावड़ा है और ना ही कहीं फ्लैशलाइट ही चमक रही हैं. साधु संत हो या फिर बाबरी मस्जिद से जुड़े रहे मुस्लिम पक्षकार, सभी कहते हैं बीते कल को भुला कर आगे बढ़ना है सौहार्द की एक नई इबारत लिखनी है और अयोध्या को नई पहचान देनी है. इसीलिए अब ना तो काली पट्टी की जरूरत है ना ही यौमे गम की और ना ही शौर्य दिवस की, यह सब बीते दिनों की बातें हैं, जिनको भूल कर आगे बढ़ना होगा और इसकी शुरुआत इसी 6 दिसंबर से करनी होगी.


अब कोई गिला शिकवा नहीं


सरयू आरती समिति के अध्यक्ष शशिकांत दास ने कहा कि आज 6 दिसंबर का दिन है, 1992, छह दिसंबर को राम मंदिर हम तो राम मंदिर ही कहेंगे का जीर्णोद्धार करने के लिए कार सेवा की गई थी तो आज हम लोगों को शौर्य दिवस बनाने के लिए बाध्य होना पड़ता था और मुस्लिम समुदाय यौमे गम मनाते थे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, तब हम लोगों को इस तरह का कोई कार्यक्रम ना हमे हर्ष मनाना है और ना उनको गम बनाना है क्योंकि उनके लिए भी सरकार ने जमीन उपलब्ध करा दी है. वह भी अपनी मस्जिद का निर्माण कर रहे हैं और यह राम मंदिर का निर्माण हो रहा है.


खत्म हुये विवाद


राम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को राम जन्मभूमि के पक्ष में आदेश पारित किया. बाबरी मस्जिद तथाकथित गिराने वाले जो आरोपी थे वह मुक्त हो गए हैं. किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं रहा तो अब सारी समस्याएं जो विवादित रही सब खत्म हो गई हैं. अब किसी प्रकार का ना तो यौमे गम मनाने की आवश्यकता है और ना ही शौर्य दिवस का, यह सब खत्म हो गया है. दोनों पक्षों को संतुष्टि हो गई है.


इकबाल अंसारी बोले-काली पट्टी बांधने की जरुरत नहीं
बाबरी मस्जिद मामले में पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस मौके पर कहा कि 6 दिसंबर के दिन मुसलमानों की तरफ से लोग यौमे गम मनाते थे, काली पट्टी बांधते थे, वहीं, हिंदुओं की तरफ से शौर्य दिवस मनाया जाता था, लेकिन हिंदुस्तान के संविधान के तहत यह मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चला. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया हम देशभक्त मुसलमान हैं और हिंदुस्ताान के वफादार है. जब हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, कानून का सम्मान करते हैं तो संविधान ने फैसला कर दिया. अब यौमे गम की जरूरत नहीं है और काली पट्टी बांधने की भी जरूरत नहीं है.


अयोध्या में 6 दिसंबर को होने वाले रस्मी कार्यक्रम इस बार भले नहीं हो रहे हैं, दोनों पक्षों को इस तरह के कार्यक्रम करने की कोई परमिशन भी जिला प्रशासन ने नहीं दी है, या फिर यूं कहे कि इस बार किसी ने इस तरह के कार्यक्रम करने की अनुमति मांगी ही नहीं, बावजूद इसके शरारती तत्व कहीं, इस अमन में खलल ना डाल दे, इसके लिए अयोध्या का पुलिस प्रशासन पूरी तरह सजग है.


कोविड नियम के उल्लंघन पर कार्रवाई


इस बीच अयोध्या रेंज के आईजी दीपक कुमार ने जानकारी देते हुये कहा कि, यदि कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन होता है और बिना परमीशन किसी के द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाता है, जो कानून के खिलाफ है तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. हम लोगों के द्वारा सोशल मीडिया पर भी लगातार नजर रखी जा रही है.


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