Ayodhya News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से अनोखे राम भक्तों का एक जत्था राम नगरी अयोध्या (Ayodhya) पहुंचा है. सभी भक्तों के पूरे शरीर पर 'राम-राम' का लिखा हुआ है. इनके समुदाय में पिछले 150 वर्षों से अधिक समय से अपने शरीर के हर हिस्से पर राम नाम लिखने की परंपरा है. कहा जाता है कि इन लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था, इसलिए अपने पूरे शरीर में राम नाम लिखवा करके मन को ही मंदिर बना लिया. दूसरी मान्यता यह है कि जब मुगल शासनकाल में मंदिर तोड़ दिए गए, तो उन्होंने अपने पूरे शरीर पर राम का नाम लिखवा लिया और वे राम नाम जाप करते हैं. इस समुदाय में जुड़ने के लिए जाति और धर्म की बात नहीं होती. जो भी अपने शरीर पर राम नाम लिखना शुरू कर देता है, इनके समुदाय रामनामी समुदाय में शामिल हो जाता है. यह समुदाय छत्तीसगढ़ के खासतौर पर जांगजीर चंपा, बिलासपुर और रायपुर समेत छह जिलों में खासतौर पर पाया जाता है.


शरीर पर राम नाम लिखने के लिए यह स्याही भी खुद बनाते हैं. इस समुदाय से जुड़ने के लिए शर्त है कि लोग शाकाहारी रहेंगे और नशे का सेवन नहीं करेंगे और झूठ नहीं बोलेंगे. इनकी आने वाली पीढ़ी भी राम नाम के प्रति आकर्षित है और आगे भी अपनी परंपरा को इसी तरह बढ़ाना चाहते हैं. राम भक्त गुलाराम रामनवमी ने बताया, 'करीब 150 से 200 साल हो रहा है हमारे पूर्वज राम का नाम गाते-भजते आ रहे हैं. जब हमारा देश स्वतंत्र नहीं हुआ था उस समय हमारे यहां जातिवाद ज्यादा था. बताया जाता है कि जब हमारे लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो उन्होंने पूरे शरीर में राम नाम लिखवा करके मन को ही मंदिर बना लिया और दूसरा जब मुगल शासनकाल में मंदिर तोड़ दिए गए तब शरीर पर राम नाम अंकित करवाए गए.'


समुदाय में शामिल होने के लिए खास है शर्त
गुलाराम ने बताया कि राम का नाम लिखाने से पहले हमें यह बात ध्यान रखनी होती है कि हम किसी भी प्रकार का नशा ना करें और दूसरा शाकाहारी रहें और तीसरी बात सदा सत्य बोलें, मन से वचन से कर्म से किसी को भी पीड़ा ना पहुंचाएं. इसके बाद आप राम का नाम लिखा सकते हैं. इसमें कोई जाति बंधन नहीं है. कोई भी जाति का हो कोई भी वर्णन का हो, वह राम नाम लिखा कर भजन कर सकता है. एक अन्य राम भक्त शेख बाई ने बताया, 'अगली पीढ़ी कहती है कि हम यह परंपरा चलाएंगे, छोड़ेंगे नहीं, हमारी परंपरा चल रही है, हम उसको क्यों छोड़ें, अब गाएंगे, बजाएंगे और राम नाम लिखा जाएगा और समाज में सुधार करेंगे. हमारे बच्चे यही चाहते हैं.'


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