Ram Mandir News: अयोध्या का सुरक्षा द्वार है हनुमानगढ़ी, सदियों है पुराना इतिहास, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता
UP News: अयोध्या में रामलला के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालु पहले हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमान जी के दर्शन करते है. हनुमान जी को अयोध्या का कोतवाल कहा जाता है.हनुमान जी के दर्शन से मनोकामना पूरी होती है.
Ayodhya News: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के साथ ही अब श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. रामलला के विराजमान होने की जितनी खुशी श्रद्धालुओं को है उससे ज्यादा खुशी अयोध्या के कोतवाल हनुमान जी महाराज को है जब-जब अयोध्या पर कोई विपदा आई है तो हनुमान जी महाराज ने आगे बढ़कर अयोध्या को संकट से मुक्ति दिलाई है. संकट मोचन के दर्शन की अभिलाषा सभी को होती है.
इस हनुमानगढ़ी को अयोध्या का सुरक्षा द्वार भी कहा जाता है. कहते हैं जब लंका विजय करके श्री राम अयोध्या आए थे तो यही स्थान पर हनुमान जी को रहने के लिए दिया गया था. इसी के समीप जामवंत किला, सुग्रीव किला और राम लला का भव्य महल था. लंका युद्ध के बाद वहां से विजय के प्रतीक के रूप में लाए गए निशान इसी हनुमानगढ़ी में रखे गए है. आज भी खास मौकों पर इन्हें बाहर निकाला जाता है और इनकी पूजा अर्चना की जाती है. अयोध्या आने वाले हर किसी को हनुमान जी की आराधना पहले करनी होती है.
इतिहास संजोये है हनुमानगढ़ी
हनुमानगढ़ी का सदियों पुराना इतिहास है. अयोध्या के सरयू नदी के दाहिने किनारे पर ऊंची टीले पर स्थित इसी स्थान पर लंका विजय के बाद हनुमान जी एक गुफा में रहते थे. यहीं से वह अयोध्या की रक्षा करते थे इसीलिए इसको सबसे पहले हनुमानगढ़ यानि हनुमान जी का घर कहा जाता था. कहते हैं सन 1933 में महाराजा विक्रमादित्य ने अयोध्या के मंदिरों का जीर्णोद्धार किया था.
कहा जाता है कि 1739 से 1754 के बीच नवाब शुजाउद्दौला के पुत्र को हनुमान जी के तत्कालीन पुजारी अभय रामदास ने चमत्कारी ढंग से ठीक कर दिया था. इसके बाद नवाब शुजाउद्दौला ने बावन बीघा जमीन हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण के लिए दी थी. आज भी अयोध्या में वह ताम्रपत्र मौजूद है जिस पर यह जमीन दान स्वरूप और लगान मुक्त के रूप में अंकित है .
हनुमानगढ़ी की व्यवस्था को चार प्रमुख पट्टियों के साधु देखते है. जैसे हरिद्वार से आए साधु हरिद्वारी पट्टी के कहे गए, उज्जैन से आए साधु उज्जैनिया पट्टी के कहे जाते हैं इसी प्रकार सागरिया और बसंतिया पट्टी भी है यही चार पट्टियां हनुमानगढ़ी की व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से संभालती हैं. यहां के साधुओं को लगभग 12 वर्ष के बाद नागापना की उपाधि दी जाती है.
पहले ऐसे साधुओं की नागा सेना भी हुआ करती थी जो धर्म की रक्षा के लिए युद्ध भी लड़ा करती थे. ऐसी मान्यता है कि हनुमान लला की कृपा जिसके ऊपर हो जाए उसे संसार का समस्त ऐश्वर्य और वैभव प्राप्त हो जाता है. आठों सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं और इच्छा मात्र से ही सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. यही कारण है कि हनुमान लला के दिव्य दरबार में हाजिरी बजाने के लिए अयोध्या आने वाला हर दर्शनार्थी जरूर पहुंचता है .
हनुमान जी के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास कहते हैं कि श्री हनुमान जी महाराज यहाँ पर राजा के रूप में विराजमान है. हनुमान जी महाराज का यहां पर राज्याभिषेक हुआ है वह दुनिया की किसी भी कोने में जाएंगे आपको हर जगह पर राम जी के चरणों में बैठे हुए हनुमान जी मिलेंगे, लेकिन जब आप अयोध्या में दर्शन करेंगे तो यहां पर चरण में नहीं आगे राजा के भ्रांति बैठे हुए हैं. हनुमान जी यहां पर कोतवाल के रूप में भी कई काम में करते हैं.
वही हनुमानगढ़ी पर दर्शन करने पहुंचे दर्शनार्थी कहते हैं कि हनुमान जी सभी की मनोकामना पूर्ण करते हैं. जो भी कष्ट होते हैं वह दूर हो जाते हैं और यह सिद्ध पीठ हनुमान जी का मंदिर है. हनुमानगढ़ी का दर्शन पूजन करने के बाद हम राम मंदिर जाएंगे और कनक भवन जाएंगे, दर्शन-पूजन करेंगे क्योंकि अब अयोध्या बदल चुकी है अयोध्या आ करके ऐसा लगता है कि हम त्रेता युग की अयोध्या में आ गए हैं.
ये भी पढें: Gorakhpur News: गोरखपुर में शराबियों ने दुकान में की तोड़फोड़, दुकानदार को पीटा, CCTV का Video आया सामने