Ayodya Dhanni Pur Masjid: 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया था. तब भारत के प्रधान न्यायाधीश रहे रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था. इस फैसले के अनुसार 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए दिया गया. जबकि कोर्ट के आदेश के अनुसार मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ मस्जिद बनाने के लिए दी गई. मुस्लिम पक्ष को बाबरी से 22 किलोमीटर दूर धन्नीपुर में जमीन आवंटित की गई.
अब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुए करीब एक साल होने वाला है हालांकि कोर्ट के आदेश पर अयोध्या के धन्नीपुर गांव में नई मस्जिद के लिए दी गई जमीन पर अभी तक काम शुरू भी नहीं हो पाया है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वहां अभी भी केवल कुछ टेंट लगे हुए हैं और किसान मवेशी चरा रहे हैं. अदालत के आदेश के बाद साल 2020 में सरकार ने मस्जिद के लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन सौंप दी थी.
इन्हें मिली थी जिम्मेदारी
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को जमीन दिए जाने के बाद बोर्ड ने इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम का ट्रस्ट बनाया. ट्रस्ट अभी तक मस्जिद के लिए फंड जुटाने में असफल रहा है. फंड जुटाने में असफल रहने के बाद इसके लिए बनाई गई समिति को भंग कर दिया गया. आईआईसीएफ के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि समिति सही तरीके से काम नहीं कर रही थी.
ट्रस्ट के ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, यहां मस्जिद के अलावा आधुनिक कैंसर हॉस्पिटल और 1857 की स्वतंत्रता की लड़ाई के इतिहास के लिए एक म्यूजियम बनाने की तैयारी थी. फाउंडेशन की मानें तो केवल मस्जिद के लिए कुल 100 करोड़ रुपये की जरूरत थी. जबकि हॉस्पिटल और म्यूजियम के लिए 400 करोड़ खर्च होने का अनुमान था.
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क्या है हालात?
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बताया कि कई लोग विदेश से चंदा देने के लिए इच्छुक हैं और इसके लिए हमने FCRA खाता खोलने के लिए आवेदन कर रखा है. विदेशी खाता खुलने के बाद पैसे की कमी नहीं रहेगी. शुरू में जो पैसा आया था उस कोविड के दौरान एंबुलेंस सेवा शुरू करने में खर्च कर दिया गया.
इस संबंध में यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि मस्जिद का काम जल्द शुरू किया जायेगा. इसके लिए करीब एक करोड़ रुपये आ चुके हैं. हालांकि रिपोर्ट की माने तो अभी तक जमीन पर कोई काम शुरू नहीं हो पाया है. जबकि गांव के लोग कहते हैं कि कई बार तारीख बताई गई लेकिन काम कभी शुरू नहीं हुआ.
रिपोर्ट में दावा किया गया कि कमेटी के लोग 15 अगस्त और 26 जनवरी को पहले झंडारोहण करने आते थे लेकिन इस बार से वह भी बंद हो गया है. जबकि बाबरी मस्जिद में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बीबीसी से मस्जिद का काम आने न बढ़ने की वजह से नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि इसपर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बोर्ड ने जमीन कब्जा कर लिया तो उनकी जिम्मेदारी है कि काम शुरू हो.