अयोध्याः उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में यूं तो मंदिरों पर वर्चस्व स्थापित करने का खेल नया नहीं है. मंदिरों पर वर्चस्व को लेकर आये दिन विवाद से लेकर हत्याएं तक होती रहती हैं, लेकिन ताजा विवाद बिहार के पटना स्थित महावीर मंदिर का है. वहीं विवाद के केंद्र में पटना के पूर्व एसएसपी और अयोध्या के इतिहास पर किताब लिखने वाले किशोर कुणाल हैं. 


अयोध्या हनुमानगढ़ी के धर्माचार्य और गद्दीनशीन अयोध्या हनुमान गढ़ी का आरोप है कि पटना के महावीर मंदिर का संचालन पंच रामानंदी अखाड़ा हनुमानगढ़ी से ही होता था, जबकि पटना के एसपी रहते किशोर कुणाल ने साजिश करके पटना के महावीर मंदिर को अपने अधिकार में ले लिया था. 


दरअसल अयोध्या हनुमानगढ़ी का दावा है कि शुरू से ही पटना के महावीर मंदिर का संचालन पंच रामानंदी अखाड़ा हनुमानगढ़ी के द्वारा होता रहा है. वहां मौजूद दोनों प्रतिमाएं स्वामी बालानंद के काल से ही हैं, महावीर मंदिर में अयोध्या हनुमानगढ़ी के लोग ही महंत होते रहे.


वहीं पटना के एसपी रहते किशोर कुणाल ने महावीर मंदिर के पुजारी रामगोपाल दास को गलत आरोप में जेल भिजवा दिया इसके बाद से ही किशोर कुणाल मंदिर पर अधिपत्व स्थापित करते हुए सर्वे सर्वा बन गए. मंदिर में महन्त की परंपरा को भी उन्होंने समाप्त कर दिया. हनुमानगढ़ी की तरफ से किशोर कुणाल को बुलाया भी गया था लेकिन वह बीच में ही बैठक छोड़कर चले गए थे.


महावीर मंदिर को लेकर अबतक आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही चलता रहा था लेकिन अब यह विवाद न्यायालय पहुंचने जा रहा है. वर्चस्व की इस लड़ाई के पीछे महावीर मंदिर की बड़ी आमदनी भी मानी जा रही है. सूत्रों की मानें तो मंदिर की आय लगभग 20 करोड़ वार्षिक के आसपास है, जबकि पूरे मंदिर ट्रस्ट का बजट 100 करोड़ से अधिक है. यह एक वजह है की आने वाले दिनों में मंदिर पर वर्चस्व की जंग और तेज हो सकती है.


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