विकास के नाम पर अयोध्या के लोगों से खाली करवाई जा रही है जमीन, प्रशासन ने दी ये दलील
अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है. पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रही अयोध्या में विकास और पर्यटन को लेकर जमीन की तलाश हो रही है. इस दौरान कई दशकों से बसे लोगों से जमीन खाली कराई जा रही है.
अयोध्या: जिस तरह अयोध्या में राम के राज्याभिषेक से पहले उन्हें 14 वर्ष का वनवास मिला था उसी तरह पिछले 40 सालों से घर गृहस्थी बसाकर रह रहे लोगों को अयोध्या के पुनर्निर्माण से पहले वनवास भेजा जा रहा है. अब अयोध्या जिला प्रशासन कह रहा है कि ये तो सरकारी जमीन थी, लोग अवैध रूप से यहां कब्जा करके रह रहे थे इसलिए इन्हें बेदखल होना होगा. दूसरी तरफ जिन लोगों को बेदखल करने के लिए जेसीबी मशीन चलाई जा रही है वो कह रहे हैं साहब पीढ़ियों से यहीं रह रहे थे, अब जाएं तो जाएं कहां.
5 साल के लिए पट्टे पर दी गई थी जमीन अयोध्या में इन लोगों को नजूल की जमीन 1974 में 5 साल के लिए पट्टे पर दी गई थी. पट्टे की अवधि समाप्त हो गई लेकिन उस समय से घर गृहस्थी बसाकर ये लोग रह रहे थे और खेती-बाड़ी कर रहे थे. 40 सालों तक कोई सरकारी अमला इनके पास नहीं आया. अब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है तो पुनर्निर्माण के दौर से गुजर रही अयोध्या में विकास और पर्यटन को लेकर जमीन की तलाश हो रही है. इसी तलाश के दौरान नजूल विभाग की ये जमीन खाली कराई जा रही है.
लोग कहां जाएंगे अयोध्या की रहने वाली सीमा यादव कहती हैं कि ''यहां पर हमारे पापा, दादा सब रहते थे. हम लोग कहां जाएंगे. हम लोगों को भगाया जा रहा है. कुछ बताया भी नहीं गया और ना ही कोई नोटिस मिला. हम लोगों को अचानक यहां से भगाया जा रहा है. गरीब लोग हैं, हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं. हम कहां जाएं.''सरकार उजाड़ रही है अयोध्या की ही रहने वाली ज्ञानमती का कहना है कि ''हम लोग 40 से 45 साल से बसे हुए हैं. हमको सरकार उजाड़ रही है. हमारे पास बड़ी संख्या में जानवर हैं, हम सबको लेकर कहां जाएं. बच्चे मजदूरी करके जीवन बिताते हैं. 14 लोगों का परिवार है. लड़की की शादी करने की तैयारी कर रहे थे, आब कैसे करें.''
चोरी और डकैती की जमीन नहीं है अयोध्या की ही अखिलेश यादव कहते हैं कि ''हमारा कोई नया निर्माण नहीं है, हम लोगों ने पैसा देकर इसको खरीदा है. चोरी और डकैती की जमीन नहीं है. हमारे पुरखों ने जमीन ली थी. गाय और भैंस हैं, हम इनको लेकर कहां जाएं. गरीब का कहीं ठिकाना नहीं है. हम लोग यहां 40 साल से रह रहे हैं. सरकार बताए हम क्या करें, कहां जाएं.''
जमीन तो सरकारी थी वहीं, अयोध्या का जिला प्रशासन का कहना है कि जमीन तो सरकारी थी. 1974 से इस जमीन पर इन लोगों का अवैध कब्जा था. अब इस पूरी जमीन को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है. इसलिए, अब अतिक्रमण हटाया जा रहा है. अलग-अलग सरकारी योजनाओं और पर्यटन के लिए जमीन की जरूरत है. लिहाजा, हम पहले ही जमीन खाली करा रहे हैं. इसके बाद खाली हुई जमीन को किसी न किसी विभाग को आवंटित कर देंगे.
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