Shri Shri Ravi Shankar News: रामनगरी अयोध्या (Ayodhya) में जमीन घपलेबाजों ने धार्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर (Shri Shri Ravi Shankar) को करोड़ों का चूना लगा दिया. भू माफियाओं ने राजस्व विभाग के कर्मियों की मदद से ऐसा खेल खेला जिसमें श्री श्री रविशंकर अपनी 10 करोड़ से अधिक की रकम गवां बैठे. कानूनी जानकार बताते हैं कि अब रविशंकर को इस पैसे की वसूली के लिए भी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी जबकि उनके द्वारा खरीदी गई जमीन पर कुछ अन्य प्रक्रियाओं के बाद बुलडोजर (Bulldozer) चल जाएगा. आईए आपको बताते हैं कि उन्हें कैसे चूना लगा दिया गया. 


दरअसल, 1359 फसली में फैयाजी नाम की एक महिला के नाम अयोध्या के मांझा क्षेत्र में 16 डिसमिल यानि 4 बिस्वा जमीन कागजों में अंकित थी. ये जमीन 1365 फसली में कागजों में बंजर बताकर दर्ज कर दी गई, जबकि 1379 में फैयाजी का नाम कागजों में दर्ज तो रहा लेकिन रकवा और गाटा संख्या नहीं लिखा गया. कुछ साल पहले फैयाजी की मौत हो गई. यहीं अयोध्या के शहरी क्षेत्र पहाड़गंज के रहने वाले अब्दुल कलाम की एंट्री हुई और उन्होंने फैयाजी की जमीन का वसीयत के आधार पर दावा कर दिया और प्रपत्र- 6 के आधार पर जमीन उनके नाम ट्रांसफर हो गई. 


ऐसे हुआ श्री श्री रविशंकर से खेल


खेल तब हुआ जब 4 बिस्वा के बजाय 21 बीघा जमीन ट्रांसफर हुई और दूसरा ये कि कानूनी रूप से प्रपत्र-6 के आधार पर विरासत की जमीन ट्रांसफर होती है न की वसीयत की जमीन मतलब यह कि इस मामले में खेल पर खेल हुआ. इस जमीन को श्री श्री रविशंकर की संस्था व्यक्ति विशेष केंद्र के नाम अब्दुल कलाम ने 10 करोड़ रुपए में बैनामा कर दिया. श्री श्री रविशंकर की तरफ से जब खारिज दाखिल अर्थात नामांतरण कराने के लिए जब एआरओ कोर्ट पर आवेदन किया गया तो शिकायतकर्ता अवधेश सिंह के वकील ने ये कहते हुए विरोध किया कि जब फैयाजी की 4 बिस्वा जमीन ही राजस्व अभिलेखों में सामने आई है तो जमीन 21 बीघा उनकी वसीयत के आधार पर कैसे अब्दुल कलाम ने श्री श्री रविशंकर को बेंच दी. 


दूसरी बात ये कि प्रपत्र 6 के आधार पर कैसे वसीयत की जमीन अब्दुल कलाम के नाम दर्ज की गई. इस आधार पर श्री श्री रविशंकर का नामांतरण प्रार्थना पत्र 29 अप्रैल 2023 को खारिज कर दिया गया. अब अब्दुल कलाम के नाम कैसे जमीन दर्ज की गई इस पर जांच पड़ताल चल रही है और एआरओ की प्रशासनिक कोर्ट पर मुकदमा विचाराधीन है. 


जानें क्या कहा है कानूनी जानकार


सरकार की तरफ से इस तरह के मामलों की पैरवी करने वाले मुख्य शासकीय अधिवक्ता राजस्व अनिल अग्रवाल कहते हैं कि जब कभी इस तरह का मामला संज्ञान में आता है तो उसकी जांच पड़ताल होती है और यह देखा जाता है कि इस तरह की कूट रचना की उत्पत्ति कहां से हुई. इस मामले में कूट रचना का अलग मामला है, लेकिन जांच इस बिंदु पर होगी कि इस तरह के धोखाधड़ी की उत्पत्ति कहां से हुई इसके लिए अब राजस्व अभिलेखों की पड़ताल होगी. इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे यह आगे सामने आएगा. 


जानें श्री श्री रविशंकर के पास क्या रास्ता है?


अब सवाल यह है कि श्री श्री रविशंकर के सामने क्या रास्ते हैं तो शिकायतकर्ता पक्ष के अधिवक्ता कहते हैं कि उनके सामने धोखाधड़ी करके जमीन बेचने वाले अब्दुल कलाम से पैसा वसूलने का विकल्प है. वो इसके लिए दावा कर सकते हैं, उनकी गलती यह है कि उन्होंने जमीन खरीदने से पहले उसी से जुड़े अभिलेखों का पूरी तरह अध्ययन नहीं किया और केवल नामांतरण अभिलेख के आधार पर जमीन लिखा डाली. 


अब इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी ने सीधे-सीधे योगी सरकार को घेर लिया है. अयोध्या के पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी सरकार में मंत्री रहे तेजनारायण उर्फ पवन पांडे कहते हैं कि जमीन की रजिस्ट्री कब हुई? श्री श्री रविशंकर को किसने ठगा? योगी जी का बुलडोजर कहां है, ठगने वाले पर बुलडोजर क्यों नहीं चला? यहां तो बुलडोजर चले नहीं, तो यही साबित होता है कि योगी सरकार का संरक्षण श्री श्री रविशंकर को ठगने वालों के साथ है.


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