अयोध्या: बिहार के पटना स्थित महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग अयोध्या से लड़ी जा रही है. इसके एक पक्ष हैं पूर्व आईपीएस अफसर किशोर कुणाल जो पटना के महावीर मंदिर का संचालन देखते हैं और दूसरा पक्ष है, अयोध्या हनुमान गढ़ी का संचालन देखने वाले साधु -संत. हनुमान गढ़ी का दावा है कि पंच रामानंदी अखाड़ा हनुमान गढ़ी से ही पटना के महावीर मंदिर का संचालन होता रहा, लेकिन किशोर कुणाल ने साजिश करके महावीर मंदिर का संचालन अपने हाथ में ले लिया. 


हनुमानगढ़ी ने किया दावा 


अयोध्या हनुमानगढ़ी का दावा है कि, शुरू से ही पटना के महावीर मंदिर का संचालन उनके द्वारा होता रहा है. वहां मौजूद दोनों प्रतिमाएं स्वामी बालानंद के काल से ही हैं. महावीर मंदिर में अयोध्या हनुमानगढ़ी के लोग भी महंत होते रहे हैं, लेकिन पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल ने मंदिर पर अधिपत्य स्थापित करते हुए खुद उसके सर्वे सर्वा बन गए और उन्होंने पटना महावीर मंदिर में महंत की परंपरा को भी समाप्त कर दिया. 


तेज हुई वर्चस्व की जंग 


पटना महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग आज एक बार फिर तेज हो चुकी है. पटना महावीर मंदिर पर दावा ठोकते हुए बुधवार को अयोध्या हनुमानगढ़ी के गद्दी नशीन प्रेमदास महाराज ने महावीर मंदिर के सर्वे सर्वा के रूप में हनुमानगढ़ी से जुड़े महेंद्र दास की नियुक्ति कर दी. यही नहीं बाकायदा हनुमानगढ़ी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर महेंद्र दास को पारंपरिक विधि से पटना महावीर मंदिर का महंत भी नियुक्त कर दिया. जाहिर तौर पर हनुमानगढ़ी के इस कदम के बाद पटना महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग और तेज होगी और एक बड़े विवाद की आधारशिला भी तैयार हो गई है. 


करोड़ों में है मंदिर की आय


महावीर मंदिर पर वर्चस्व को लेकर अब तक आरोप-प्रत्यारोप के दौर ही चल रहे थे, लेकिन अब इस विवाद में नई शक्ल ले ली है. सूत्रों की माने तो वर्चस्व की लड़ाई के पीछे महावीर मंदिर की बड़ी आमदनी भी है. महावीर मंदिर की आय लगभग 20 करोड़ वार्षिक बताई जाती है, जबकि पूरे मंदिर ट्रस्ट का बजट लगभग 100 करोड़ से अधिक है. यही वह वजह है जिसके कारण महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग तेज होती जा रही है और आने वाले दिनों में इसको लेकर कई खबरें सामने आने वाली हैं.


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