UP News: अयोध्या में हनुमानगढ़ी (Ayodhya Hanuman Garhi Mandir) और पटना के महावीर मंदिर (Mahavir Mandir Of Patna) का विवाद अब सतह पर आ गया है. पहली बार दोनों पक्ष के लोग खुलकर एक दूसरे पर तीखा हमला बोल रहे हैं. हालांकि पहले भी दोनों पक्षों में टकराव और विवाद की स्थिति बनी थी. गुरुवार को अयोध्या में हनुमानगढ़ी पर सबसे बड़ा हमला महावीर मंदिर न्यास के सचिव किशोर कुणाल ने बोला. उन्होंने कहा कि एक भक्त होने के नाते हनुमानगढ़ी की कुल आय जानने का अधिकार है. उन्होंने हनुमानगढ़ी की संपत्ति की जांच की मांग की.
किशोर कुणाल ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग में कितने लोग फंसेंगे कहना मुश्किल है. उन्होंने आरोप लगाया कि चढ़ावे की अकूत संपत्ति पर कोई भी स्वामित्व छोड़ना नहीं चाहता. बता दें कि हनुमानगढ़ी तीनों अनी अखाड़ों की बैठक बुलाने की तैयारी कर रहा है. हाल ही हनुमानगढ़ी में बैठक के दौरान किशोर कुणाल की संपत्ति की जांच ईडी और सीबीआई से कराने की मांग की गई थी. सफाई में किशोर कुणाल ने कहा कि 1972 से 2016 तक संपत्ति की डिटेल शेयर करता रहा हूं.
हनुमानगढ़ी की आय हो सार्वजनिक- किशोर कुणाल
पटना के महावीर मंदिर की आय प्रतिदिन 10 लाख की है. चढ़ावे की रकम से कई हॉस्पिटल बनवाए गए. श्रद्धालुओं और अस्पताल के मरीजों को मुफ्त भोजन करा रहे हैं. बिहार में विराट श्री राम जानकी मंदिर का निर्माण कार्य भी चल रहा है. पटना के 7 अस्पतालों में 1500 मरीजों को मुफ्त भोजन दिया जा रहा है. पटना का कैंसर अस्पताल देश का दूसरा सबसे बड़ा है. सीतामढ़ी में सीता रसोई चला रहे हैं. इसलिए हमारा हिसाब किताब जग जाहिर है. लेकिन एक भक्त होने के नाते हनुमानगढ़ी की कुल आय जानना चाहता हूं.
पहली बार दोनों पक्षों की तरफ से वार और पलटवार
हनुमानगढ़ी हमेशा से दावा करता रहा है कि निर्मोही अनी अखाड़ा, दिगंबर अनी अखाड़ा और निर्वाणी अनी अखाड़ा तीनों की स्थापना करने वाले जगतगुरु बालानंदाचार्य ने पटना के महावीर मंदिर की स्थापना की थी. महंत महेंद्र दास महावीर मंदिर को हनुमानगढ़ी का हिस्सा बताते हैं. उन्होंने कहा कि महावीर मंदिर का संचालन हनुमानगढ़ी के जरिए होता था. हनुमानगढ़ी के लोग महावीर मंदिर में महंत समेत अन्य जिम्मेदारियां संभालते रहे.
महंत महेंद्र दास ने दावा किया कि 1987 में रामगोपाल महाराज हत्या के आरोप में जेल गए. उस समय किशोर कुणाल पटना के एसपी पद पर तैनात थे. उन्होंने धोखे से और पद का दुरुपयोग कर मंदिर पर कब्जा कर लिया. कब्जा के बाद सबसे पहले उन्होंने महंत की परंपरा को समाप्त किया फिर हनुमानगढ़ी की तरफ से नियुक्त पुजारी को भी हटा दिया. विरोध करने पर महंत की जगह हनुमानगढ़ी के एक संत को परमाचार्य नियुक्त किया. अब कुछ समय पहले उसे भी हटाकर मंदिर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है. हनुमानगढ़ी के आरोपों से मामला महावीर मंदिर पर वर्चस्व की जंग का लगता है.