Ramcharitmanas: लंबे समय से बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने रामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर बड़ा बयान दिया है, पिछले दिनों मानस को लेकर हुए विवाद से वो बहुत आहत है. उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहिए और इसी के साथ यह कानून भी बनना चाहिए कि किसी भी धर्म के मुख्य ग्रंथ पर टिप्पणी करने वाले को सजा मिले. इकबाल अंसारी आगे कहते हैं कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के कार्यकाल में रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित नहीं किया गया तो आखिर कब किया जाएगा.
इकबाल अंसारी ने कहा कि जो लोग किसी भी धार्मिक ग्रंथ पर टिप्पणी करें तो उन पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि धार्मिक ग्रंथों पर टिप्पणी करने से विवाद होता है. रामचरितमानस पर लोगों ने टिप्पणी की जिससे हिंदू और मुस्लिम में नफरत पैदा हुई. हम चाहते हैं कि धार्मिक ग्रंथ जहां भगवान राम का नाम लिखा हो उस धार्मिक किताब को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहिए. इस पर टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. कुछ लोग ऐसे हैं जो निजी स्वार्थ के लिए धार्मिक ग्रंथों पर टिप्पणी करते हैं.
आचार्य सत्येंद्र दास ने भी किया समर्थन
इकबाल अंसारी की इस मांग का श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की मांग पहले भी हो चुकी है. ये पहली बार है कि इस्लाम धर्म से जुड़ा कोई शख्स इस तरह की मांग कर रहा है और यह सही समय है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं. इसलिए हमारे धार्मिक ग्रंथों की आलोचना करने वालो के खिलाफ कानून बनाया जाए, जिससे उन्हें कड़ी सजा मिले. ताकि फिर किसी की हिम्मत न हो हमारे धार्मिक ग्रंथों पर टिप्पणी करने की.
विश्व हिन्दू परिषद ने किया स्वागत
विश्व हिन्दू परिषद के अवध प्रांत प्रवक्ता शरद शर्मा ने भी इकबाल अंसारी की मांग का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि ये सबको साथ लेकर चलने वाला ग्रंथ है इसलिए इसे राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करना चाहिए. जिसने भी मांग उठाई है हम सब उनका वंदन करते हैं. यह एक सामाजिक ग्रंथ है आदि ग्रंथ है. हम सभी धर्मावलंबी इसको राष्ट्रीय ग्रंथ करने की मांग करते हैं.
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