UP News: अयोध्या (Ayodhya) स्थित तपस्वी छावनी के जगतगुरु परमहंस आचार्य और वृंदावन (Vrindavan) के महेश्वर धाम मंदिर के महंत धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में 10 मई को याचिका दाखिल की गई थी. इसमें जगतगुरु परमहंस आचार्य को धर्म दंड और भगवा वस्त्र के साथ ताजमहल (Taj Mahal) के अंदर जाने संबंधी आदेश दिए जाने की मांग की गई है. इस याचिका में यह भी कहा गया है कि ताजमहल के बंद 20 कमरों और उससे संबंधित कई रहस्य की बात इतिहासकार करते रहे हैं.


किसने बनाया गया है प्रतिवादी?
इसलिए ताजमहल भ्रमण के समय उनके निरीक्षण के दौरान पता चलेगा कि वह हिंदू मंदिर है कि नहीं. जिन रहस्यों की बात होती रही है, उसमें कितनी सच्चाई है. इस याचिका में 26 अप्रैल और तीन मई को जगतगुरु परमहंस आचार्य को धर्म दंड और भगवा वस्त्र के साथ ताजमहल में जाने नहीं देने की दलील दी गई है. 


लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत ताजमहल भ्रमण संबंधी आदेश देने के लिए हाईकर्ट से फरियाद की गई है. इस याचिका में भारतीय कला और संस्कृति विभाग के सचिव एएसआई के डायरेक्टर आगरा जनपद के जिला मजिस्ट्रेट और एसएसपी के साथ ताजमहल के प्रशासनिक के साथ सुरक्षा अधिकारियों को भी प्रतिवादी बनाया गया है.


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क्या बोले परमहंस आचार्य?
जगतगुरु परमहंस आचार्य 26 अप्रैल को मैं तेजो महालय आगरा गया था तो मुझे कहा गया आप भगवा वस्त्र पहने हैं इसलिए आप नहीं जा सकते हैं. मैं वापस चला आया, इसके बाद वहां के एएसआई चीफ ने मुझसे क्षमा मांगी और मुझे आमंत्रित किया. इसके बाद जब मैं तीन मई को भगवान परशुराम की जयंती पर वहां पहुंचा तो फिर मुझे नहीं जाने दिया गया. इसके बाद हमारे अनुयाईयों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका लगाया है कि जगत गुरु परमहंस आचार्य जी को भगवा वस्त्र और धर्म दंड के साथ तेजो महालय में प्रवेश किया जाए.


साथ ही साथ मैं जब वहां जाऊंगा तो मैंने यह भी मांग की है कि वहां का जो रहस्य है उसका निरीक्षण करूंगा. निरीक्षण करने के बाद जैसा होगा फिर मैं इसकी डिमांड करूंगा कि आगे वहां क्या रहस्य छिपा हुआ है क्योंकि वह भगवान शिव का अति प्राचीन मंदिर रहा है, जिस के तमाम तथ्य हमारे पास मौजूद हैं. लेकिन जब मुझे वहां जाने ही नहीं दिया जा रहा है. जाने के बाद वहां जो तथ्य मिलेंगे उसको लेकर फिर मैं प्रयास करूंगा.


क्या रखी है मांग?
उन्होंने कहा कि एक न एक दिन सच्चाई उसी तरह सामने आएगी जिस तरह से अयोध्या का भव्य राम मंदिर बन रहा है. उसी तरह हो सकता है भगवान भोलेनाथ का अभिषेक भी वहां जल्दी शुरू हो जाएगा. वहां ऐसे कुछ साक्ष्य हैं जो इस्लाम में प्रतिबंधित हैं. वहां मौजूद हैं जैसे त्रिशूल होना त्रिशूल तो मकबरा और कहीं मस्जिद में नहीं लगता है. वहां प्रतिबंधित कलश होना और तमाम अन्य रहस्य विद्यमान हैं जो कमरे बंद हैं. वह भगवान शिव का मंदिर ही है लेकिन पता नहीं क्यों वहां पर कमरों को बंद करके रखा गया है. इसलिए जब मैं वहां जाऊंगा तो सब चीजों को देखने के बाद में फिर मैं न्यायालय से प्रयास करूंगा कि उन कमरों को खोला जाए. जो तथ्य छिपाया गया है उसे सार्वजनिक किया जाए.


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